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प्रार्थनापत्र : चेम्बरलेनको

गन्दगी बहकर आती है। वह बस्तीको शहरसे अलग करती है। बस्ती रास्तेसे अलग एक कोने में है और उसके नजदीक ही शहरका कूड़ा-कचरा इकट्ठा किया जाता है। अन्धड़-तूफान आते ही रहते हैं, परन्तु उनसे रक्षाकी वहाँ कोई व्यवस्था नहीं है। व्यापारीके नाते प्रार्थी कह सकता है कि वह स्थान व्यापारके लिए बिलकुल अयोग्य है। वहाँ न तो यूरोपीय जाते हैं और न प्रिटोरियासे गुजरनेवाले काफिरोंके भारी ताँते ही। और ये काफिर ही इन अभागे लोगोंके मुख्य' ग्राहक हैं। कहना जरूरी नहीं कि वहाँ न तो मल-मूत्रकी सफाईका कोई कारगर प्रबन्ध है और न खाईके गन्दे पानीके अलावा दूसरे पानीका ही।

प्रार्थीने इन सब हकीकतोंका जिक्र यह बताने के लिए किया है कि सम्राज्ञी-सरकारसे अपने हितोंकी रक्षाका निवेदन करने में वह ऐसी कोई मांग नहीं कर रहा है जो प्रिटोरियाकी आम आबादीके हितोंके प्रतिकूल हो । क्योंकि, प्रार्थी यह स्वीकार करने के लिए स्वतन्त्र है कि, अगर अभागे भारतीय व्यापारियोंपर लगाये गये आरोपोंमें से एक-चौथाई भी सच होते तो प्रार्थीको साधारण समाजके हितोंके सामने अपने हितोंको दबा देना पड़ता। प्रसंगवश प्रार्थी यह भी कह दे कि और भी जन्मतः ब्रिटिश प्रजाजन ऐसे हैं जो लगभग उसी स्थितिमें पड़ गये हैं, जिसमें प्रार्थी है।

यह वस्तुस्थिति कि, सरकारने लम्बी अवधिके भारतीय पट्टेदारोंके मामलोंपर नर्मीसे विचार करनेकी रजामन्दी जाहिर की है, इस पत्रमें अख्तियार किये हुए प्रार्थीके रुखको बदलती नहीं। प्रार्थी इन व्यापारियोंको बहुत लम्बे पट्टे नहीं दे सकता। इसका सीधा-सादा कारण यह है कि अपेक्षाकृत छोटी अवधिके पट्टोंपर प्रार्थी जो किराया वसूल कर सकता है, लम्बी अवधिके पट्टोंपर वह उससे बहुत कम पा सकेगा।

प्रार्थीने अनेक बार माननीय ब्रिटिश एजेंटसे मुलाकात की है। वे जो जानकारी और सलाह दे सकते थे वह उन्होंने कृपापूर्वक दी। परन्तु, प्रार्थी नम्रतापूर्वक निवेदन करता है कि अब एक ऐसा समय आ गया है जब कि ज्यादा रस्मी और ज्यादा विस्तृत रूपमें फरियाद करना जरूरी है। प्रार्थी आदरपूर्वक प्रार्थना करता है कि इस मामलेपर उचित विचार किया जाये। और न्याय तथा दयाके इस कार्य के लिए प्रार्थी, कर्तव्य' समझकर, सदा दुआ करेगा; आदि-आदि।

जॉ० फे० पार्कर
 

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स, सी० ओ० ४१७-१८९९, जिल्द २०, पार्लमेंट ।


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