हमारा खयाल है कि इसमें हमें और कुछ भी जोड़नेकी आवश्यकता नहीं है। आशा है कि आप पहलेके समान अब भी हमारी ओरसे प्रयत्न करनेकी और वर्तमान दुःखदायी अवस्थाका शीघ्र अन्त करवानेकी कृपा करेंगे।
एक मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ३२५२) से।
सेवामें
माननीय उपनिवेश-सचिव
पीटरमैरित्सबर्ग
पत्र' मिला, धन्यवाद। रोजाना चिन्तापूर्वक पूछताछ हो रही है। तुरन्त सहायता आवश्यक। सुना है ब्रिटिश एजेंट भी सरकारके पास पहुंचे। सादर निवेदन, सुझावके अनुसार भारतीयोंको आने देने में कोई हानि नहीं। लड़ाई के बाद प्रतिबन्ध ढीले किये जायें तो समय निकल चुकेगा। अच्छे अच्छे लोग रैड त्याग रहे हैं, तब घटनाओंको भारतीय चुपचाप बैठे देख नहीं सकते। ब्रिटिश प्रजाजन आपत्तिसे बचनेके लिए ब्रिटिश भूमिमें न जा सकें इसका दुःख अवर्णनीय है।
दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ३२८८)से।
१. गांधीजीफा वद पत्र, जिसका कि यह उत्तर था, उपलब्ध नहीं है।
२. ट्रान्सवालसे नेटालमें भारतीयों के प्रवेशको विनियमित करनेवाले प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम' के लागू करनेमें ढिलाईकी प्रार्थना की गई थी।
३. उस समय बोअर युद्ध छिड़ने ही वाला था।
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