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पत्र: उपनिवेश-सचिवको१६५

अधिकारीसे जान लेनेका सौभाग्य मुझे प्राप्त नहीं हुआ। परन्तु, मेरी नम्र रायमें, ऐसा कोई कारण हो नहीं सकता, जिससे ऐसे कठोर नियमका मंजूर किया जाना उचित ठहराया जा सके। यह तो, व्यवहारमें, नेटालके सच्चे निवासियोंको भी उपनिवेशमें आनेसे रोक देगा।

इसलिए, अगर सरकार कृपा कर प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिकारीको उक्त नियम उठा लेने और उसे दी गई अर्जीका निबटारा अर्जीकी पात्रताके आधारपर ही करनेका निर्देश दे देगी तो मैं आभारी हूँगा।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
वास्ते --मो० क० गांधी
 
वी० लॉरेन्स
 

[अंग्रेजीसे]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइब्ज़, सी० एस० ओ०, ६०६३/१९००।

९२. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मक्युरी लेन
 
डर्बन
 
अगस्त २,१९००
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

उपनिवेशके प्रतिनिधि ब्रिटिश भारतीयोंकी ओरसे मुझे आपसे प्रार्थना करनेका मान प्राप्त हुआ है कि आप निम्नलिखित सन्देश, महामहिमामयी सम्राज्ञीकी सेवामें पेश करनेके लिए, द्वारा उपनिवेश-मन्त्रीको भेज देनेकी कृपा करें:

"नेटालके ब्रिटिश भारतीय कृपामयी सम्राज्ञीके शोकमें उनके प्रति नम्रतापूर्वक समवेदना प्रकट करते हैं।"

मुझे अधिकार दिया गया है कि सन्देश भेजनेपर होनेवाले व्ययके बारेमें आपसे सूचना मिलनेपर मैं व्ययकी रकम आपको भेज दूं।

आपका आज्ञाकारी सेवफ,
 
मो० क०गांधी
 

[अंग्रेजोसे]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइव्ज, सी० एस० ओ०, ६१४२/१९००।

१. यह सन्देश महारानीके द्वितीय पुत्र प्रिंस अल्फ्रेड ड्यफ ऑफ सेक्स-कोवर्ग-गोटाको मृत्युपर ३१ जुलाईको भेजा गया था।

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