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९०. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मयुरी लेन
 
डर्बन
 
जुलाई ३१, १९००
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

नेटालके मुसलमान ब्रिटिश प्रजाजन अपने समाजके आध्यात्मिक नेता महामहिम तुर्की-सुलतानको, उनकी रजत-जयन्तीके अवसरपर, अभिनन्दन-पत्र अपित करनेका आयोजन कर रहे हैं। मुझसे सलाह मांगी गई है कि अभिनन्दन-पत्र भेजनेका सबसे अच्छा तरीका कौन-सा होगा। मुझे लगता है कि अधिक रस्मी और उचित तरीका उसे परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयके द्वारा भेजनेका होगा, क्योंकि वह सम्राज्ञीके प्रजाजनोंके पाससे यूरोपके एक अन्य सुलतानके पास भेजा जानेवाला है।

आप इस शिष्टाचारके सम्बन्धमें मेरा मार्ग-प्रदर्शन करनेकी कृपा करें तो मैं आभारी हूँगा। अभिनन्दन-पत्र शनिवारको भेज देना होगा, इसलिए अगर आप शीघ्र सूचना दें तो मैं उपकार मानूंगा।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
मो० क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे ]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइन्ज, सी० एस० ओ०, ६०६१/१९००।

९१. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मयुरी लेन
 
डर्बन
 
जुलाई ३१, १९००
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

मैं इसके साथ उस पत्र-व्यवहारकी नकल भेज रहा हूँ, जो अधिवास-प्रमाणपत्रकी एक अर्जीके सम्बन्धमें मेरे और प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिकारीके बीच हुआ है। इस पत्र-व्यवहारमें जिस नियमका उल्लेख हुआ है, वह हाल ही में मंजूर किया गया मालूम पड़ता है।

मैं समझता हूँ, इस नियमसे छुटकारा पानेके लिए, इसे सरकारको नजरमें लानेकी धृष्टता करनेके सिवा कोई चारा नहीं है। जिन कारणोंसे यह नियम मंजूर किया गया है उन्हें प्रवासी-

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