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११२. महारानीको मृत्युपर शोक
[डर्बन]
 
फरवरी १, १९०१
 

सेवामें

(१) अमद भायाद

(२) गॉडफे, अमगेनी न्यायालय

(३) स्टीफन, सर्वोच्च न्यायालय

पीटरमैरित्सबर्ग

हम कोशिश कर रहे है, महारानीकी प्रतिमापर पुष्प-माला चढ़ानेके लिए शनिवारको सवेरे भारतीयोंका एक भारी जुलूस स्ट्रीटसे निकाला जाये। कृपया वहाँ भी कुछ ऐसा ही ध्यान रहे, कल कारोबार बिलकुल बन्द रहना चाहिए।

गांधी
 

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ३७६७) से।

११३. महारानी विक्टोरियाको श्रद्धांजलि

डर्वनमें फूल-माला चढ़ानेके अवसरपर गांधीजीने एक भाषण दिया था। निम्न सारांश समाचारपत्रों में प्रकाशित उसके संक्षिप्त विवरणके आधारपर दिया जा रहा है ।

[फरवरी २, १९०१)
 

श्री मो० क० गांधीने स्वर्गीया महारानीके उदात्त गुणोंका बखान किया। उन्होंने १८५८ की भारतीय घोषणा तथा भारतीय कार्यों में महारानीकी गहरी दिलचस्पीका जिक्र किया और बताया कि किस प्रकार बुढ़ापेमें उन्होंने हिन्दुस्तानी भाषाका अध्ययन प्रारम्भ किया था और यद्यपि वे अपनी प्यारी प्रजासे मिलने के लिए स्वयं भारत नहीं जा सकी, फिर भी, किस प्रकार उन्होंने अपना प्रतिनिधित्व करनेके लिए अपने पुत्रों तथा पौत्रोंको वहाँ भेजा था।

[अंग्रेजीसे]

नेटाल ऐडवर्टाइज़र, ४-२-१९०१

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