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११९. तार: उपनिवेश-सचिवको


[डर्बन
मार्च ८, १९०१]


सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

आपके आजके तारके लिए जिसके द्वारा आपने उसमें बताई शर्तोंपर श्री दिनशाके उतरनेकी इजाजत दी है, आपको धन्यवाद देता हूँ।

गांधी

[अंग्रेजीसे]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइब्ज़, सी॰ एस॰ ओ॰, १९२९/१९०१।

१२०. भारतीय विद्यालयोंके मुखियोंको
(परिपत्र)


डर्बन
मार्च १९, १९०१


प्रियवर,

आप जानते हैं कि श्री रसेलने नगर-भवनमें भारतीय बच्चोंके सामने हमारी प्रिय, स्वर्गीया सम्राज्ञी कैसरे-हिन्दके शासनपर एक भाषण दिया था, और भारतीय जनताकी ओरसे बच्चोंको एक स्मृति-चिह्न[१] भेंट किया गया था। समितिका विचार है कि जो भारतीय बच्चे उत्सवमें सम्मिलित नहीं हो सके थे उनको भी यह स्मृति-चिह्न दिया जाये। वह सँभालकर रखने योग्य है; इसलिए मेरा सुझाव है कि उसकी एक प्रति मढ़ाकर स्कूलके कमरेमें टाँग दी जाये; और प्रत्येक विद्यार्थीको प्रेरित किया जाये कि यदि वह खर्च उठा सके तो उसे मढ़ाकर, और यदि ऐसा न कर सके तो, किसी अच्छेसे गत्तेपर चिपकाकर, उसे अपने कमरेमें टाँगे।

कृपया मुझे बतलाइए कि आपके स्कूलमें कितने विद्यार्थी हैं; जिससे कि मैं स्मृति-चिह्नको उतनी प्रतियाँ आपको भेज दूँ।

यदि आप स्थानीय दूकानदारोंको इस बातके लिए तैयार कर सकें कि वे इस चिह्नको सुन्दर चौखटेमें मढ़वाकर अपनी दूकानमें सजाकर लटका देंगे, तो आपको इसकी कुछ अधिक

  1. इस स्मृति-चिह्नमें रानी विक्टोरियाका चित्र देकर उसके ऊपर भारतीय जनताके नाम उनकी १८५८की घोषणाका एक उद्धरण दिया गया था; और नीचे, भारतके साथ उनके सम्बन्धकी ६ ऐतिहासिक तारीखें दी गई थीं। साथ ही, १९०१ के भारतका मानचित्र देकर दिखलाया गया था कि सारे देशपर ब्रिटेनका राज हैं। जब विक्टोरिया १२ वर्षकी थीं और उन्हें बताया गया था कि भविष्यमें आप इंग्लैंडकी रानी बनेंगी, तब उन्होंने कहा था: "मैं अच्छी रानी बनूँगी।" यह बात भी चित्रमें दिखलायी गयी थी।