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१२२. तार: परवानोंके बरेमे
 
[डर्बन]
 
मार्च २५, १९०१
 

सेवामें

परवाना'

केपटाउन

आपका २१ तारीखका तार। कल शरणार्थियोंकी भारी सभा हुई थी। उसमें परवाने पानेके लिए इन व्यक्तियोंको नामजद किया गया : मुहम्मद कासिम कमरुद्दीन ऐंड कम्पनीके श्री अब्दलगनी, जोहानिसबर्गके श्री एम० एस० कबाड़िया, प्रिटोरियाके श्री हाजी हबीब हाजी दादा, पाँचेफ़स्ट्रमके श्री अब्दुल रहमान। सभाकी नम्र रायमें, विशाल हितोंको खतरेमें देखते हुए, कमसे-कम इतने लोगोंको तो परवाने मिलने ही चाहिए। सभा एक परवानेको बहुत कम मानती है। चार परवाने देना असम्भव हो तो उपर्युक्त प्रतिनिधि श्री अब्दुलगनीको सबसे पहले जानेको नियुक्त करते हैं।

मुझसे अनुरोध किया गया है कि मैं निवेदन कर दूं, सैकड़ों अन्य शरणार्थियोंको परवाने मिल गये हैं और अब प्रिटोरिया तथा जोहानिसबर्गकी लगभग सभी यूरोपीय दूकानें खुल गई है। यह देखते हुए, भारतीयोंको बहूत बुरा लगा है कि उन्हें उनके परवानोंका उचित भाग नही मिला। और चार परवानोंसे भी उनकी जरूरत पूरी नहीं होगी। परन्तु यदि परमश्रेष्ठ चार परवानोंके बारेमें भी सभाकी प्रार्थना स्वीकार कर सकें तो इस उपकारकी बहुत कद्र की जायेगी।

गांधी
 

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ३७९३) से।

१केपटाउन- स्तिथ उच्चायुक्तके परवाना- सचिवका सांकेतिक पता।

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