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१२३. पत्र: उपनिवेश सचिवको
१४, मर्क्युरी लेन
 
डर्बन
मार्च ३०, १९०१
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

मैं आपके १८ तारीखके पत्रकी प्राप्ति स्वीकार करता हूँ ।

क्या मैं पूछ सकता हूँ कि श्री दिनशाके मामलेमें परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयने तत्सम्बन्धी कानून के खण्ड १ के अन्तर्गत कोई निर्देश दिया था या स्वास्थ्य अधिकारीने उस कानूनके खण्ड २ के अन्तर्गत अपनी जिम्मेदारीपर ही कार्रवाई की थी ? और समाचारपत्रों में प्रकाशित इस आशयकी खबर सही है या नहीं कि, जहाज कम्पनियोंको निर्देश दिया गया है कि वे केपटाउनसे, तथा बीचके बन्दर-स्थानोंसे, किसी एशियाई यात्रीको डर्बन आनेके लिए न लें ?

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 

{{Rh||मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइन्ज़, सी० एस० ओ० १९२९/१९०१ ।

१२४. पत्र: उपनिवेश सचिवको
१४, मर्क्युरी लेन
 
डर्बन
 
मार्च ३०, १९०१
 

सेवाम

उपनिवेश सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

एक कृपालु मित्रने जनरल बुलरके खरीतेके एक अंशकी नकल मुझे भेजी है। उसमें उल्लि- खित अफसरोंमें मेरा नाम भी इस परिचयके साथ शामिल है: "श्री गांधी, असिस्टैंट सुपरिंटेंडेंट, इंडियन ऐम्बुलैन्स कोर।" अगर यह उद्धरण पूरा है तो, मेरे पत्र-प्रेषकके कथनानुसार, उस दलके किसी अन्य अफसरके नामका उल्लेख इस तरह नहीं किया गया। अगर यह सही है, और जो श्रेय दिया गया है वह असिस्टैंट सुपरिटेंडेंटके पदपर काम करनेवाले व्यक्तिको है, तो उसके अधिकारी श्री शायर हैं। दलमें सिर्फ उन्हें ही असिस्टैंट सुपरिटेंडेंटके रूपमें पहचाना जाता

१. अधिनियम नं. २६, १८९९ ।


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