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दक्षिण आफ्रिका के ब्रिटिश भारतीय

(१) लगता है, इसके द्वारा पुरानी सरकारके भारतीय-विरोधी कानूनोंको रद करनेका प्रश्न अनिश्चित कालके लिए टाल दिया गया है।

(२) जो भारतीय व्यापारी युद्ध छिड़नेपर व्यापार नहीं कर रहे थे, परन्तु जिनको गत वर्ष परवाने दे दिये गये थे, उनको इसने दुविधामें डाल दिया है। श्री चेम्बरलेनने तो कहा था कि इन परवानोंको कोई छू भी नहीं सकेगा ।

(३) कहनेको तो इसके द्वारा उन व्यापारियोंके निहित स्वार्थीका लिहाज किया गया है जो युद्ध छिड़नेके समय व्यापार कर रहे थे, परन्तु वस्तुतः उनकी जड़ ही काट डाली गई है; क्योंकि इसमें एक स्थान या व्यक्तिके परवानेको दूसरे स्थान या व्यक्तिके नामपर बदलनेका निषेध है। इसका फल यह होगा कि पहली हालतमें दुकानदारोंको मकान मालिकोंकी कृपापर अवलम्बित रहना पड़ेगा और दूसरी हालतमें वे अपने कारोबारको चलते कारोबारके रूपमें बेचकर लाभ नहीं कमा सकेंगे ।

(४) इसके द्वारा सारीकी सारी जातिको कलंकित किया गया है, क्योंकि इसकी ध्वनि यह है कि प्रत्येक भारतीय सभ्य लोगोंकी बस्तीमें रहनेके अयोग्य है --- वह अपने आपको योग्य सिद्ध करे तब बात दूसरी है ।

यह सूचना प्रकाशित होनेके पश्चात् ये सब बातें परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नरके ध्यानमें लाई जा चुकी हैं और अब उनके उत्तरकी प्रतीक्षा है।

पीटर्सबर्गके विषयमें सरकारने बड़ी कठिनाईके बाद, इस आशयका सामान्य निर्णय किया है :

(१) भारतीय व्यापारियोंके सब वर्तमान परवाने चालू तिमाहीके लिए अस्थायी रूपसे फिर जारी कर दिये जायेंगे;

(२) किसी भारतीयको नया परवाना नहीं दिया जायेगा --- वह युद्धसे पहले व्यापारकरता रहा हो, या नहीं;

(३) जबतक इस सारे प्रश्नका विचार नहीं हो जाता तबतक वर्तमान परवानोंमें से किसीका न तो स्थान बदला जा सकेगा और न नाम ।

इस प्रकार चिन्ता और दुविधाका समय फिर बढ़ा दिया गया है। चालू तिमाहीकी समाप्तिपर वर्तमान परवाने फिर जारी किये जायेंगे या नहीं, इसका कुछ निश्चय नहीं है। श्री चेम्बरलेनने हमें निश्चित आश्वासन दिया था कि निहित अधिकारोंको छेड़ा नहीं जायेगा । ऊपर जिन दो निर्णयोंकी चर्चा की गई है उनका निष्कर्ष यह है कि यदि कोई मकान-मालिक किसी दूकानदारको दुकान खाली करनेकी सूचना दे दे तो उस दुकानदारको अपना कारोबार बन्द ही कर देना पड़ेगा; और क्योंकि उसका परवाना किसी दूसरेके नाम नहीं किया जा सकता इसलिए वह अपनी दुकानको चलते हुए कारोबारके रूपमें बेच भी नहीं सकेगा। जिला-सेनाधिकारीने वहाँके भारतीय लोगोंके नाम निम्न सूचना जारी की है :

जिन कुलियोंके पास परवाने हों वे सब पुलिसके दफ्तरमें प्रार्थनापत्र देकर, स्टैंडर्टन नगरकी पैदल पटरियोंपर चलनेका अनुमतिपत्र ले सकते हैं। जो कुली या काला आदमी १ अप्रैलके बाद स्टैंडर्टनकी पटरियोंपर बिना अनुमतिपत्रके चलता पकड़ा जायेगा उसके विरुद्ध कानूनके अनुसार मुकदमा चलाया जायेगा ।

सभी भारतीयोंके लिए "कुली" शब्दका प्रयोग करके उनके प्रति जो घृणा और उनकी भावनाओंके प्रति जो उपेक्षावृत्ति प्रकट की गई है उसपर ध्यान दीजिए। बोअर राजमें, पटरियोंपर चलते हुए भारतीय लोगोंके साथ किसी प्रकारकी छेड़छाड़ नहीं की जाती थी; छूटका अनुमतिपत्र