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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

तो उन्हें लेना ही नहीं पड़ता था। जब इस उपनियमको लागू करनेका यत्न किया जाने लगा तब तुरन्त ही ब्रिटिश सरकारने हस्तक्षेप करके उसे रोक दिया था। इस सूचनाका प्रतिवाद सरकारको भेज दिया गया है।

नेटालके डर्बन और मैरित्सबर्ग नगरोंमें इक्के-दुक्के लोगोंको प्लेगकी गिल्टी निकली है। रोगका अधिक आक्रमण काफिर लोगोंपर हुआ है। यूरोपीयोंको भी यह रोग हुआ है । फिर भी इन दोनोंको, बिना किसी प्रतिबन्धके, ट्रान्सवाल आने दिया जा रहा है। परन्तु भारतीयोंका ट्रान्सवालमें आगमन, सारे ही नेटालते--- केवल रोगाक्रान्त नगरोंसे नहीं --- पूर्णतया निषिद्ध कर दिया गया है। भारतीय शरणार्थियोंको भी नेटालसे इस उपनिवेशमें नहीं आने दिया जाता ।

यहाँके भारतीय, श्री चेम्बरलेनकी सलाहपर चलकर धैर्यपूर्वक अपनी शिकायतें स्थानीय अधिकारियोंसे दूर करवानेका यत्न कर रहे हैं । और, यहाँ यह उल्लेख कर देना उचित है कि परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नरकी वृत्ति परस्पर विरोधी स्वार्थीको समान न्याय देनेकी है।

ईस्ट लंदन ( केप कालोनी)में पैदल पटरीको शिकायत अबतक दूर नहीं हुई। परमश्रेष्ठ गवर्नरने हमारे अन्तिम प्रार्थनापत्रका जवाब अभीतक नहीं दिया। परन्तु इस उपनियमको वहाँ कठोरतासे लागू नहीं किया जा रहा।

[ सहपत्र ]

सरकारकी सूचना

संख्या ३५६, सन् १९०३

सर्वसाधारणकी जानकारीके लिए सूचना दी जाती है कि परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नर और उनकी कार्यकारिणी परिषदने, व्यापार करनेके परवानोंके लिए एशियाई लोगोंके प्रार्थनापत्रोंपर निर्णय दिया है कि, १२ अगस्त १८८६ को कार्यकारिणी परिषदके प्रस्ताव अनुच्छेद सं० १६४ के द्वारा संशोधित और १२ अगस्त १८८६ को लोकसभा (फोक्सराट )के प्रस्ताव अनुच्छेद सं० १४१९ द्वारा सम्पुष्ट, १८८५ के कानून सं० ३ के विधानोंको, उन एशियाई लोगोंके निहित स्वार्थीका मुनासिब लिहाज रखकर लागू किया जायेगा जो पिछली लड़ाई छिड़नेपर बाजारोंसे बाहर व्यापार कर रहे थे; और इसलिए उन्होंने निश्चय किया है कि :

(१) सरकार तुरन्त ही ऐसे उपाय करे जिनसे कि प्रत्येक नगरमें उन बाजारोंको पृथक् नियत किया जा सके जिनमें कि केवल एशियाई लोग रहेंगे और व्यापार करेंगे; यह काम उपनिवेश सचिवके सुपुर्द किया जाता है कि वह इन बाजारोंका निश्चय, आवासी (रेजिडेंट) मजिस्ट्रेट्रफी अथवा जहाँ नगर परिषद या स्वास्थ्य निकाय (हेल्थ बोर्ड) हो वहाँ उसकी सलाहसे करे ।

(२) किसी भी एशियाईको निश्चित बाजारोंके सिवा कहीं और व्यापार करनेके लिए नया परवाना नहीं दिया जायेगा ।

(३) जिन एशियाई व्यापारियोंके पास किसी ऐसे स्थानपर व्यापार करनेके परवाने पिछली लड़ाई छिड़नेके समय रहे होंगे, जो सरकार द्वारा विशेष रूपसे नियत नहीं किया गया, उनके परवाने उन्हीं शर्तोंपर तबतकके लिए फिर जारी किये जा सकेंगे जबतक कि वे इस उपनिवेशमें रहते रहेंगे । परन्तु ये परवाने किसी दूसरे व्यक्तिको नहीं दिये जा सकेंगे और किसी परवानेदारको किसी एक ही नगरमें उतनेसे अधिक परवाने नहीं दिये जायेंगे जितने कि उसके पास लड़ाई छिड़नेके समय थे ।

एशियाइयोंका निवास, ऊपर निर्दिष्ट कानून द्वारा, उन्हीं गलियों, मुहल्लों और बस्तियोंतक सीमित है जो इस प्रयोजनके लिए पृथक नियत कर दिये गये हों; परन्तु अब परमश्रेष्ठने निर्णय किया है कि उनके लिए