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दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय

अनुचित और अन्यायपूर्ण हैं। यदि खोजें तो इस परिस्थितिका कारण उपनिवेशमें बसनेवाले गोरोंके सन्देहशील मनकी गलतफहमीमें मिलेगा। यह गलतफहमी कई तरहकी है --- ब्रिटिश प्रजाकी हैसियतसे भारतीयोंका क्या दर्जा है यह न जाननेसे उत्पन्न गलतफहमी; उपनिवेशोंके साथ हिन्दुस्तानका भाईचारा स्थापित करनेवाली अपने महाराजकी संयुक्त संज्ञा 'राजाधिराज' से प्रकट होनेवाले घनिष्ठ सम्बन्धकी बेखवरीसे पैदा गलतफहमी; और जबसे विधाताने भारतको वरतानियाके झंडेके नीचे ला खड़ा किया है तबसे उसने ब्रिटेनकी कितनी सेवा की है इस बातकी दुःखदायी विस्मृतिसे जनमनेवाली गलतफहमी । इसलिए तथ्योंको उनके सही रूपमें लोगोंके सामने रखकर गलतफहमियाँ दूर करनेकी हमारी कोशिश होगी ।

भारतीयोंमें जो दोष बताये जाते हैं वे उनसे सर्वथा मुक्त हैं, ऐसी भी हमारी मान्यता नहीं है। यदि वे हमें गलतीपर दिखेंगे तो हम बेखटके उन्हें उनकी गलती बतायेंगे और उसे दूर करनेके उपाय भी सुझायेंगे। देशमें जो रीति-परम्पराएँ आवश्यक नैतिक मार्गदर्शनके द्वारा त्रुटियोंका परिमार्जन करती रहती हैं, दक्षिण आफ्रिकामें बसे हुए हमारे भाई उनके नेतृत्वसे वंचित हैं । जो यहाँ कम उम्रमें आ गये या जो यहीं पैदा हुए उन्हें अपनी मातृभूमिके इतिहास या महानताको जाननेका अवसर नहीं मिल पाया। यह हमारा कर्तव्य होगा कि हम यथाशक्ति इंग्लैंड, भारत और इस उप-महाद्वीपके समर्थ लेखकोंके लेख देकर इस कमीको पूरा करें।

समय सिद्ध करेगा कि जो सही है वही करनेकी हमारी इच्छा है । किन्तु हम सहयोगके बिना क्या कर सकते हैं? हमें अपने देशवासियोंके उदार सहारेका भरोसा है। जो महान ऐंग्लो-सैक्सन कौम सप्तम एडवर्डको अपना राजाधिराज कहती है, क्या हम उससे भी यही आशा नहीं कर सकते ? क्योंकि हमारा ध्येय इस एक शक्तिशाली साम्राज्यके अनेक वर्गोंमें सद्भाव तथा प्रेम बढ़ानेके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है ।

[अंग्रेजी और गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ४-६-१९०३


२४०. दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीय

अगले कुछ हफ्तोंमें हम इन स्तम्भोंमें जिस प्रश्नकी चर्चा करना चाहते हैं वह एक बहुत बड़ा प्रश्न है । उसका महत्त्व प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। हर कोई कबूल करेगा कि सामाजिक प्रश्नोंकी भाँति इसमें भी दुर्भावने बड़ी उलझनें पैदा कर दी हैं । इसलिए हमारा कर्तव्य होगा कि इस दुर्भावको, और साथ ही पक्षपातको भी, बिलकुल एक तरफ रखकर स्थितिपर विचार करें और केवल प्रमाणित तथ्योंको लेकर ही आगे बढ़ें।

कोई भी समझदार राजनीतिज्ञ इस प्रश्नकी उपेक्षा नहीं कर सकता । आज ब्रिटिश दक्षिण आफ्रिकामें कोई एक लाख भारतीय बसे हुए हैं। भला या बुरा, इनकी इस उपस्थितिका इस महान् भूखण्डपर असर अवश्य होगा । तब हमारे सामने एक बड़ा प्रश्न खड़ा होता है कि इनका क्या किया जाये ? इस प्रश्नके सही जवाबपर उनका सुख-दुःख निर्भर है। और निःसन्देह इस देशमें रहनेवाले हर गृहस्थका उससे सम्बन्ध है । इसलिए हम सोचें कि आज वास्तविक स्थिति क्या है ?

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