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२५७. इस सबका नतीजा क्या होगा ?

ऐसा प्रतीत होता है कि ऑरेंज रिवर कालोनीकी नई सरकार पुरानी गणराज्यीय हुकूमतसे विरासतमें प्राप्त सख्त और अ-ब्रिटिश, एशियाई-विरोधी कानूनोंको बदलना या सुधारना नहीं चाहती । इसका प्रमाण तारीख १९ मईके विशेष सरकारी गजटमें प्रकाशित ऑडिनेन्सका वह मसविदा है, जिसमें खानोंसे बाहर रहनेवाली रंगदार जातियोंपर व्यक्ति-कर बढ़ानेकी बात है । लड़ाईके पहले ब्रिटिश भारतीय आशा करते थे, और आज भी कर रहे हैं, कि ब्रिटिश हुकूमत इन कानूनोंको हटा देगी। ऐसी हालतमें हमारी समझमें नहीं आता कि व्यक्ति-कर बढ़ानेका यह प्रस्ताव क्यों हो रहा है ?, हमें पता है कि उस राज्यमें शायद ही भारतीयोंकी कोई आबादी हो । परन्तु हमें विश्वास है कि वहाँ शीघ्र ही उचित संख्यामें भारतीयोंके प्रवेशका द्वार खुल जायेगा । हमारा यह भी अनुमान है कि लॉर्ड मिलनर इस प्रश्नपर विचार कर रहे हैं कि दक्षिण आफ्रिकाकी गणतन्त्री हुकूमत द्वारा जारी किये गये एशियाई-विरोधी कानूनमें किस प्रकार और किस हदतक परिवर्तन किया जाये। क्या हमें यही मानना होगा कि चूँकि ऑरेंज रिवर कालोनीमें भारतीयोंकी कोई आबादी नहीं है इसलिए ब्रिटिश भारतके निवासियोंके लिए इस राज्यके द्वार हमेशा के लिए बन्द हैं ? उपनिवेश-मन्त्रीसे ब्रिटिश भारतीयोंने जब ऑरेंज फ्री स्टेटके कानूनोंके बारेमें शिकायत की थी तब उन्होंने जो जवाब दिया था वह हमें याद है । उन्होंने कहा था कि वह एक पूर्णतया स्वतन्त्र गणराज्य है । इसलिए ब्रिटिश भारतीयोंकी मदद करनेकी इच्छा होनेपर भी मुझे खेद है, मैं कुछ नहीं कर सकता, लाचार हूँ। परन्तु अब उपनिवेश-मन्त्री लाचार नहीं हैं, सत्ता उनके ही हाथमें है । क्या वे सत्य और न्यायके पक्षमें उसका उपयोग करेंगे ? या खालिस व्यापारिक ईर्ष्या और रंग-भेदके नये विघ्नके सामने लाचार ही बने रहेंगे ?

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १८-६-१९०३

२५८. तथ्योंका अध्ययन

सारी भारतीय कौम सर मंचरजीके प्रति बड़ी कृतज्ञ है । वे हमेशा उसकी हिमायतमें अपनी आवाज उठाते रहे हैं। उन्होंने श्री चेम्बरलेनसे एक प्रश्न पूछा था । कहते हैं, उसके जवाबमें उन माननीय महानुभावने कहा है कि "जहाँतक ट्रान्सवालमें बसे हुए भारतीयोंका प्रश्न है उनपर वहाँका पुराना कानून पहलेकी-सी सख्तीसे लागू नहीं किया गया है। वास्तवमें उसमें काफी सुधार किये गये हैं।" इस सम्बन्धमें जो तथ्य हैं उनको हम आमने-सामने पेश कर रहे हैं और यह कहना चाहते हैं कि पुराना कानून अब जिस सख्तीसे लागू किया जा रहा है वैसा पहले कभी नहीं किया गया था ।