३३०. विक्रेता-परवाना अधिनियम पुनरुज्जीवित : १ यह एक अजीब संयोगकी बात है कि भारतीयोंके परवानोंको दबाने में जब न्यूकैसिलकी नगर-परिषद पूरे जोरसे लगी हुई है, ठीक उसी समय डर्बनकी नगर परिषद भी पहले जैसा ही उत्साह प्रकट कर रही है। परवाना अधिकारीने चार भारतीयोंके परवाने दूसरी जगहपर व्यापार करनेके लिए नये करनेसे इनकार कर दिया। हम बीचमें बता दें कि इस नई जगहकी सफाईके बारेमें कोई शिकायत नहीं थी। खैर, इस इनकारीपर डर्बनकी नगर परिषद में अपील की गई। लेकिन वह नामंजूर हो गई और अधिकारीके निर्णयको बहाल रखा गया । इन चार व्यापारियोंकी तरफसे श्री रॉबिन्सनने वकालतनामा लिया था। अपनी बहसमें उन्होंने इशारा किया कि परवाना अधिकारीको नगर परिषदकी तरफसे पहले ही इस बारेमें सूचना मिल गई थी कि उन चार व्यापारियोंके परवाने नई जगहके लिए नये न किये जायें। हमें लगता है कि श्री रॉबिन्सनके कथनमें जरूर कुछ सत्य है, यद्यपि नगर परिषदने इसका प्रतिवाद किया है । किन्तु दक्षिण आफ्रिकामें इस तरहके कूटनीतिक प्रतिवाद कोई नई बात नहीं है । नगर- परिषदका प्रतिवाद हमें इसी श्रेणीका दिखाई देता है । यह एक दुःखद बात है । परन्तु अभी हमें घटनाके इस पहलूसे इतना वास्ता नहीं है, जितना उस कठोर संघर्षसे है, जो अपनी सम्पूर्ण भयानक उत्कटताके साथ भारतीय समाजपर लादा जा रहा है और जिसका सबसे अधिक गहरा असर उसके व्यापारी अंगपर पड़ रहा है। श्री चेम्बरलेन जब यहाँसे हजारों मीलके फासलेपर थे और जब उन्होंने दक्षिण आफ्रिका देखा तक नहीं था, तब उपनिवेशके ब्रिटिश भारतीयोंको वे कुछ राहत दिला सके थे। हमारा मतलब उस गश्तीपत्रसे है, जो उनके सुझावपर सरकारने भिन्न-भिन्न नगरपालिकाओंके नाम भेजा था और जिसमें कहा गया था कि यद्यपि उनको अमर्याद सत्ता दे दी गई है, तथापि वे उसका उपयोग बहुत सोच-समझकर और सौम्यताके साथ ही करें। अगर वे चाहें कि यह सत्ता उनके पास बनी रहे तो उन्हें चाहिए कि वे निहित स्वार्थीको जरा भी न छेड़े। अगर इन सुझावोंका ठीक तरहसे पालन नहीं किया गया तो उनकी यह सत्ता छिन जायेगी । हमने समझा था कि इस गश्तीपत्रका आवश्यक और उचित असर हो गया, यद्यपि उसी समय कांग्रेसने श्री चेम्बरलेनको स्मरण दिला दिया था कि उनका सुझाया उपाय एक कामचलाऊ उपाय- मात्र है और उससे ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंको स्थायी संरक्षण नहीं मिलेगा । हमारा भय सही साबित हुआ। आज हम देखते हैं कि इस कानूनमें नगर परिषदोंको जो असा- धारण सत्ता दी गई है, उसके बलपर उन्होंने सारे उपनिवेशमें अपनी वही पहले ग्रहण की हुई नीति पूर्ण रूपमें फिर कार्यान्वित करनी शुरू कर दी है और अगर हम जानना चाहें कि उनकी इस नई कार्रवाईका कारण क्या है, तो हमें पता चलेगा कि श्री चेम्बरलेन, जिन्होंने दक्षिण आफ्रिकामें स्मरणीय यात्रा की, और खुद लॉर्ड मिलनर इसके कारण हैं । उपनिवेशियोंने शायद सपने में भी यह कल्पना नहीं की होगी कि ब्रिटिश संविधानके बुनियादी सिद्धान्तोंसे सम्बन्धित मामलों में श्री चेम्बरलेन इतनी आसानीसे झुक जायेंगे। इंग्लैंड पहुँचनेपर भी दक्षिण आफ्रिकाकी उपनि- वेश सम्बन्धी नीतिका विरोध करनेकी उन्होंने सदा अनिच्छा ही प्रकट की है. • भले ही वह ब्रिटिश परम्पराओंको साफ-साफ भंग करती हो। इसी प्रकार उपनिवेशियोंकी अपनी सत्ताके बारेमें जो धारणा थी उसे लॉर्ड मिलनरने बाजार सूचना निकाल कर और भी पुष्ट कर Gandhi Heritage Porta
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