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दादा उस्मानका मुकदमा

यह प्रश्न नहीं उठता, क्योंकि जिस दूकानके लिए परवाना माँगा गया है, उसके लिए इस साल परवाना जारी था ही। अर्जी मंजूर करनेसे परवानोंकी संख्या बढ़ेगी नहीं। अगर ये दूकानें बन्द कर दी जायें तो भारतीय मकान-मालिकोंको भी अपना कारोबार बन्द कर देना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि परिषद अपीलपर उचित विचार करेगी और उनके मुअक्किलको परवाना दे देनेका आदेश निकाल देगी।

श्री टेलरने कहा: मुझे नहीं जचा कि परवाना-अधिकारीने गलती की है और, इसलिए, उन्होंने प्रस्ताव किया कि निर्णयको पक्का कर दिया जाये।

श्री कालिन्सने कहा कि मुझे जरा भी आश्चर्य नहीं कि परिषद परवाना देनेसे इनकार करनेकी बहुत ही ज्यादा अनिच्छुक है। फिर भी, मेरा विश्वास है, इनकार किया ही जानेवाला है । और मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि इनकारीका कारण यह नहीं है कि अर्जदार भारतीय होनेके अलावा और किसी दृष्टिसे परवानेके अयोग्य है। श्री गांधीने जो-कुछ कहा है वह बिलकुल सत्य है और मेरा मन यह कह डालनेसे कुछ हलका होता है कि इन परवानोंमें से अगर सब नहीं तो ज्यादातर मुख्यत: उसी कारणसे नामंजूर किये गये हैं। परिषद बड़ी अड़चनमें पड़ गई है, क्योंकि उसे एक ऐसी नीति कार्यान्वित करनी पड़ती है, जिसे संसदने आवश्यफ समझा है । समाजके प्रतिनिधिको हैसियतसे संसद इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि डर्बनमें व्यापारपर भारतीय अपना कब्जा बढ़ायें, यह अवांछनीय है । और इसी आधारपर परिषदको आदेश-सा दे दिया गया है कि वह ऐसे परवाने देनेसे इनकार कर दे, जो अन्यथा आपत्तिजनक नहीं है। मेरा खयाल है कि अर्जदारको परवानेकी इनकारीसे अन्याय महसूस होगा; परन्तु औपनिवेशिफ नीतिके रूपमें यही अनुकूल पाया गया है कि इन परवानोंकी संख्या बढ़ाई न जाये। और, इसलिए, मैं श्री टेलरके प्रस्तावका समर्थन करता हूँ।

मेयरने कहा कि सर्वश्री ईवान्स, लैबिस्टर और हिचिन्स देरीसे आनेके कारण मत नहीं दे सकेंगे ।

श्री लैबिस्टरने कहा कि देरीसे आनेके बार में, मैं समझता हूँ, मुझे मेयर महोदय और परिषदसे क्षमा- याचना करनी चाहिए । परन्तु मैं फैफियत देना चाहता हूँ कि मैं इन परवाना सम्बन्धी बैठकोंमें आना समझ-बूझ कर टालता हूँ, क्योंकि हमें जो गन्दा काम करनेको कहा गया है उससे मैं पूर्णत: असहमत हूँ। मैं इस बैठकमें इस अपेक्षासे आया था कि परवाना-सम्बन्धी काम पहले ही खत्म हो चुका होगा और जब मैं पहुँचेगा तबतक साधारण काम शुरू हो चुफा होगा । श्री कालिन्सकी कही हुई बातोंसे मैं सहमत हूँ; परन्तु कोई भी परिषद- सदस्य, हमसे जो-कुछ करनेको कहा गया है उसकी कार्रवाई में भाग न लेकर, अपनी असहमति दर्ज करा सकता है। मेरा मत है कि, जब हम अपील-अदालतकी हैसियतसे बैठते हैं, तब हमारा काम होता है कि हम गवाहिया सुनें और यदि किसी अर्जदारके खिलाफ कोई मजबूत कारण न हो तो हम उसे परवाना दे दें। अगर डर्बनके नागरिक या उपनिवेशके लोग चाहते हैं कि ये परवाने देना बन्द कर दिया जाये तो वे विधान- मण्डलके पास जा सकते हैं और भारतीय समाजके सदस्योंफा परवानों के लिए अजिया देना रुकवा सकते है ।

मत लिये जानेपर श्री टेलरका परवाना-अधिकारीके निर्णयको बहाल रखनेका प्रस्ताव विना विरोध पास हो गया । और, फलस्वरूप, अपील रद हो गई ।

[अंग्रेजीसे]

नेटाल मयुरी, १५-९-१८९८


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