करोड़पति और भारत सरकार ४८९ इसकी उन्नतिके लिए आवश्यक हैं। व्यापारियोंके सम्बन्ध में बोलते हुए सर जेम्सने श्री क्विनके प्रश्नके उत्तर में कहा: अरब लोग सीमित संख्यामें हैं और प्रायः सभी व्यापारी हैं। साधारण छोटा व्यापारी अरबके साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता। उपनिवेशका काफिरोंके साथ फुटकर व्यापार प्रायः सारा का सारा अरबोंके हाथमें है। देहाती क्षेत्रोंमें मुझे इसपर आपत्ति नहीं है, क्योंकि में सोचता हूँ कि साधारण गोरे युवक या युवती देहाती काफिर बस्ति- योंमें वस्तु भण्डारोंकी देख-रेखके बजाय कोई और अच्छा काम कर सकते हैं। साधारण गोरे आदमीकी आवश्यकताओंकी अपेक्षा अरब लोगोंकी आवश्यकताएँ कम हैं। वे कम मुनाफेपर माल बेचते हैं और एक खास हदतक वतनियोंके साथ यूरोपीयोंकी अपेक्षा अधिक अच्छा व्यवहार करते हैं। देहाती वस्तु-भण्डारोंमें यूरोपीय बहुत अधिक मुनाफा चाहते हैं । श्री ईवान्सके प्रश्नका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा: मैं नहीं समझता कि भारतीयोंका आगमन नेटालके लिए अहितकर हुआ है। इसके बिना यहाँ खेतीबाड़ी सम्भव नहीं थी और समुद्रतटीय बन्दरगाहोंमें मुश्किलसे कोई आबादी होती है । सम्पूर्ण कृषिकार्य मजदूरोंकी प्रचुर उपलब्धिपर निर्भर है। [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, २४-९-१९०३ ३४८. करोड़पति और भारत सरकार ट्रान्सवालकी साधन-सम्पत्तिके विकासके लिए ट्रान्सवालको मजदूर देनेका विचार करने से पहले भारत-सरकार और उपनिवेश-मंत्रीने वहाँके ब्रिटिश भारतीयोंके लिए कुछ अधिकारोंकी माँग की है। वास्तवमें ये अधिकार भारतीयोंके वाजिब अधिकारोंमें से आधेसे भी कम हैं। परन्तु इसीपर सर जॉर्ज फेरारका कोप भारत सरकार और उपनिवेश मन्त्रीपर भड़क उठा है। सर जॉर्ज जिस किसी कामको हाथमें लेते हैं उसपर लाखों-करोड़ों खर्च कर देते हैं, इसलिए हम नहीं जानते कि जो लोग उनके कोपके भाजन बन गये हैं अब उनपर क्या बीतनेवाली है । खानोंके उद्योगसे उनका सम्बन्ध बहुत निकटका है। असलमें उनकी करोड़ोंकी कमाई उसीपर निर्भर है। ऐसी सूरतमें हम उनकी स्थितिको समझ सकते हैं। धन कमानेवाला आदमी प्रायः साधनोंका औचित्य परिणामसे देखता है। इस सिद्धान्तकी दृष्टिसे सर जॉर्ज और खान- उद्योगके अन्य मालिक इस बातकी चिन्ता क्यों करने लगे कि जिनकी मददसे वे इतना धन कमाते हैं उन्हें ठीक तरहसे खानेको मिलता भी है या नहीं। इसी दृष्टिकोणसे वे यह मानते हैं कि अगर उनका कोई उचित या अनुचित विरोध करे तो येन-केन प्रकारेण उसका मुँह बन्द किया जाना चाहिए। गत १७ सितम्बरको जोहानिसबर्गमें खान- मण्डलकी मासिक बैठक में शायद इसी धुनमें उन्होंने नीचे लिखे शब्द कहे थे : इस तनावको दूर करनेकी दृष्टिसे आपके खान- मण्डलने नई रेलवे लाइन बनानेके लिए भारतसे गिरमिटिया मजदूर लानेका सुझाव सरकारको दिया था। इसके कुछ ही समय बाद उपनिवेश-मन्त्रीका उत्तर विधान परिषदकी मेजपर रख दिया गया था । Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५३१
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