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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५३०

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३४६. तीन-तीन त्यागपत्र श्री चेम्बरलेन, लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टन और श्री रिची ने त्यागपत्र दे दिये हैं । यह तो सचमुच वज्रपात ही है । हमें यह खयाल अवश्य आता है कि आजके जैसे नाजुक समयमें मन्त्रिमण्डलसे सबसे अधिक शक्तिशाली और कुशल मन्त्रीका हट जाना गम्भीर दुर्भाग्यकी बात है । दक्षिण आफ्रिका जटिल प्रश्नोंकी जितनी अच्छी जानकारी श्री चेम्बरलेनको है उतनी इस समय साम्रा- ज्यमें अन्य किसीको नहीं । सब प्रश्न अभी अनसुलझे पड़े हैं। जहाँतक तोड़-फोड़का सम्बन्ध है, वह तो पूरी हो चुकी; परन्तु पुनर्निर्माणका काम तो अभी शुरू ही नहीं हो पाया है, और वह और भी अधिक मुश्किल और महत्त्वपूर्ण है। ऐसे समय श्री चेम्बरलेनने अपने पदका त्याग कर देना उचित समझा; इससे बहुत कठिनाई पैदा हो गई है; और प्रधानमन्त्रीको उपनिवेश- मन्त्री के पद के लिए दूसरा योग्य आदमी ढूंढ़ निकालना लगभग असम्भव हो जायेगा । ब्रिटिश भारतीयोंका जहाँतक सम्बन्ध है, इससे उनकी अनिश्चित स्थिति और भी अधिक अनिश्चित हो जाती है। श्री चेम्बरलेनने फिर भी दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीयोंके प्रश्नको कुछ समझ लिया है, यद्यपि हमारी दृष्टिसे पूरी तरह नहीं। उनके विचारोंसे हम न्यूनाधिक परिचित हो गये हैं । जहाजोंपर भारतीय खलासियोंको नौकरी देनेके सम्बन्धमें आस्ट्रेलियाके संघीय मन्त्रियोंको जो खरीता भेजा गया है उसमें इस प्रश्नको उन्होंने साम्राज्यके मंचपर लाकर रख दिया है । किन्तु अब फिर हमारे सामने उपनिवेश-कार्यालयकी रीति-नीतिमें परिवर्तनकी संभावना उपस्थित है। लॉर्ड जॉर्जका त्यागपत्र और श्री ब्रॉड्रिकका उनके स्थानपर लिया जाना भी अशुभ लक्षण है । (श्री ब्रॉड्रिक अपने इस प्रस्तावसे कि दक्षिण आफ्रिकामें भारी फौज रखनेका खर्चा भारत दे, भारतमें अत्यन्त अप्रिय हो गये हैं ।) परन्तु हम आशा करें कि अपना नया पद सँभालनेपर श्री ब्रॉड्रिक भारत के बारेमें पहले की अपेक्षा अधिक विचार करेंगे । [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, २४-९-१९०३ ३४७. सर जे० एल० हलेट और भारतीय व्यापारी खानोंके लिए आफ्रिकी मजदूरोंकी उपलब्धिके सवालकी जाँच करनेके लिए जोहानिसबर्ग में इस समय जो श्रम आयोग बैठा है, उसके सामने गवाही देते हुए श्री जेम्स हलेटने कुछ बड़ी दिलचस्प बातें कही हैं । आयोगके सामने सर जेम्सकी गवाही हम जोहानिसबर्ग स्टारके इसी मासके १५ तारीखके अंकसे अन्यत्र उद्धृत कर रहे हैं। बहुत बदनाम किये गये भारतीय व्यापारीके पक्ष में माननीय महानुभावने साहसके साथ जो स्पष्ट बातें कहीं, उनके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं । तथापि यह समयके रुखका सूचक है कि भारतीयोंके प्रति ऐसे प्रशंसात्मक विचार रखते हुए भी वे उनके उद्योगोंपर कानूनी निर्योग्यताएँ लगाने और गिरमिटिया भारतीयोंके अनिवार्य रूपसे वापस भेजे जानेके प्रश्नके साथ अपनी सहमति प्रकट कर सकते हैं; यद्यपि उनकी सम्मति में भारतीयोंने उपनिवेशको जाहिरा तौरपर विनाशसे बचाया है और वे आजतक । १. अर्थ मन्त्री । Gandhi Heritage Portal