५०० सम्पूर्ण गांधी वाङमय वह उसी अपराधका दोषी पाया गया था, जिसके लिए एक भारतीयपर मामला चलाया गया था। क्या श्री स्टुअर्ट यह कहेंगे कि जिस विद्वान वकीलने उसका बचाव किया था उसने उसका मामला लेकर उचित नहीं किया था ? उस मामलेके बारेमें खानगी तौरपर हम सब अपनी- अपनी रायें रखते हैं । परन्तु क्या हम यह कह सकेंगे कि विधानसभाके सदस्यकी तरफसे अपीलमें बहस करनेवाले अग्रगण्य बैरिस्टर या कानूनी गुनाहके सम्बन्धमें संदेहका तत्त्व होनेसे अपीलको मंजूर करनेवाले प्रधान न्यायाधीश भी दोषी हैं। - बैरिस्टर इसलिए कि उन्होंने ऊपरसे दोषी प्रतीत होनेवाले आदमीकी तरफसे वकालत की, और प्रधान न्यायाधीश इसलिए कि उन्होंने उसको बरी कर दिया ? फिर, उस वकीलका कर्तव्य क्या है, जिसको पैरवीके बीचमें यह ज्ञात हो कि उसका मुअक्किल सचमुच अपराधी है ? क्या वह मामलेको बीचमें ही छोड़ दे ? यदि कहीं वह ऐसा कर बैठे तो हमारा खयाल है, उसका यह काम पेशेकी दृष्टिसे अत्यन्त अनुचित माना जायेगा । वास्तवमें प्रश्न बड़ा पेचीदा है। हमारा तो खयाल है कि ऐसे मामलोंमें निर्णय खुद प्रत्येक वकीलको ही करना चाहिए। मजिस्ट्रेटका काम यह नहीं है कि जब कभी वह देखे कि मामला गलत है, मुलजिमके वकीलको उपदेश करने बैठ जाये। श्री खान और श्री स्टुअर्टके बीचकी झड़पके बारेमें अभी तो इतना ही। श्री स्टुअर्टने जो कुछ अच्छा काम किया उसमें से इतनी कमी हो गई। लेकिन जो शेष बच रहा वह भी उन्हें प्रशंसाका पात्र बनानेके लिए काफी है। अपने अन्दर जो भी अच्छाई है उसे प्रकट करनेका भारतीय समाजके लिए यह एक अनूठा अवसर है। सही दिशामें किया गया एक जोरदार प्रयत्न बहुत बड़ी गन्दगी साफ कर सकता है । बस, लोकमतका एक जोरदार प्रवाह छोड़ देनेकी जरूरत है । यों पुलिस और मजि- स्ट्रेटने पहले ही काफी काम कर दिया है। लोकमत उसकी मदद कर देगा। पुलिस और मजिस्ट्रेटकी मदद के बिना केवल लोकमत इन बेह्या गुनहगारोंकी गेंडेकी-सी मोटी खालपर कोई असर न करता । अब, जबतक मामला गरम है तबतक अगर वह चोट मारेगा तो उसका पूरा असर होगा । हम नहीं चाहते कि हममें से एक भी भारतीय ऐसा रहे जो इस अनैतिक और घृणित व्यापारसे अपनी आजीविका चलाये । हमें हर्ष है कि पुलिस और मजिस्ट्रेटने जो कार्रवाई की उसे हमारे देशभाई पूरी तरह पसन्द करते हैं । हम आशा करते हैं कि वे सम्बन्धित "गुनहगारोंको समाजकी तरफसे उचित दण्ड देनेकी व्यवस्था भी जरूर करेंगे। [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, १-१०-१९०३ Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५४२
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