५०४ सम्पूर्ण गांधी वाङमय मार्च ८ ( के पूर्व ) : पीटरमैरित्सबर्ग टाउन कौंसिलके लिए प्लेगसे बचाव-सम्बन्धी पत्रकका अनुवाद करनेकी जिम्मेदारी ली। मार्च ११ : रोडेशिया में भारतीय व्यापारियोंकी निर्योग्यताओंके बारेमें टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडिया से पत्र-व्यवहार किया। मार्च २० : नेटालमें प्लेग के आतंकपर टाइम्स ऑफ इंडियाको विशेष लेख भेजा। यह दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंकी स्थितिपर लिखी गई लेखमालाका पहला लेख था । अप्रैल २५ : ट्रान्सवाल- सरकारने एशियाइयोंके लिए जुलाई १ से पहले बस्तियोंमें चले जानेका हुक्म निकाला । मई १७ : गांधीजीने १८८५ के कानून ३ को अमल में लानेकी सरकारी कार्रवाइयोंके सम्बन्धमें श्री चेम्बरलेनको प्रार्थनापत्र भेजा । मई १८ : उपनिवेश सचिव, पीटरमैरित्सबर्गको लिखा कि भारतीय प्रवासी-कानूनमें संशोधन सम्बन्धी विधेयकको गिरमिटिया मजदूरोंके हितमें संशोधित किया जाये । मई २७ : श्री चेम्बरलेनके नाम भेजे गये १७ मईके प्रार्थनापत्रकी नकल श्री वेडरबर्नको भेजी । जुलाई ६ : विक्रेता-परवाना अधिनियमके अमलसे उत्पन्न परेशानियोंके उदाहरणोंकी सूचना उपनिवेश सचिवको दी। जुलाई १५ : भारत-मन्त्रीसे भेंट की और भारतीयोंके प्रति उदारताकी अपील की । जुलाई २० : प्रतिनिधिको हैसियतसे प्रिटोरियामें ब्रिटिश एजेंटसे मिले और उन्हें बस्तियों- सम्बन्धी सूचनासे उत्पन्न भारतीयोंकी समस्याओंका परिचय दिया । जुलाई २७ ( के पूर्व ) : बस्ती-हुक्म के सम्बन्धमें जोहानिसबर्गके स्टारके प्रतिनिधिने भेंट की । जुलाई ३१ : नेटाल गवर्नरको प्रार्थनापत्र देकर माँग की कि परवाना कानून में संशोधन किया जाये और व्यापारिक परवानोंके सम्बन्धमें नगरपालिकाओं, नगर परिषदों आदिके मनमाने निर्णयोंके विरुद्ध भारतीयोंको सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में अपील करनेका अधिकार दिया जाये । सितम्बर १ : ब्रिटिश-बोअर युद्धकी सम्भावनाके कारण भारतीयोंको ट्रान्सवालसे जानेकी सुवि- धाएँ देनेके लिए उपनिवेश मन्त्रीको तार । अक्टूबर १४ : ट्रान्सवालके शरणार्थियोंको डेलागोआ-बेसे नेटाल आनेकी सुविधा देनेके बाबत जमानतें मुल्तवी करनेपर जोर देते हुए प्रभावशाली व्यक्तियोंके नाम परिपत्र । अक्टूबर १६ : नेटाल भारतीय कांग्रेसने शरणार्थियोंको सुविधा देनेपर सरकारको धन्यवाद दिया । अक्टूबर १७ : अंग्रेजी बोल सकनेवाले भारतीयोंकी सभामें निश्चय किया गया कि बोअर युद्ध छिड़नेपर नेटाल सरकारको सेवा-सहायता प्रदान की जाये । गांधीजीका डॉ० प्रिंसने डॉक्टरी मुआयना किया और वे आहत सहायक दलके कामके योग्य स्वस्थ पाये गये । अक्टूबर १९ : सरकारको स्वयंसेवकोंकी सूची भेजी और भारतीयों द्वारा सेवाएँ देनेके प्रस्तावके बारेमें सूचित किया। सूचीमें पहला नाम गांधीजीका था । अक्टूबर २३ : सरकारने भारतीयोंके सेवा प्रस्तावका स्वागत किया और सूचित किया कि उचित अवसर आनेपर वह उसका लाभ उठायेगी । अक्टूबर २७ : शरणार्थियोंकी परिस्थिति और भारतीयोंके घायलोंको लाने-ले जानेकी सेवाके प्रस्तावके सम्बन्धमें टाइम्स ऑफ इंडियाको पत्र लिखा । Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५४६
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