५१० सम्पूर्ण गांधी वाङमय मई १ : दादाभाई नौरोजीको हाइडेलबर्ग और जोहानिसबर्ग की घटनाओं, सूचना ३५६ के बारेमें यूरोपीयोंके प्रार्थनापत्र तथा जोहानिसबर्गकी आम सभा के विवरण भेजे । मई १० : दादाभाईको पत्र लिख कर सूचित किया कि प्रवासियोंको सीमित करनेके लिए, कुछ परिवर्तनोंके साथ, नेटालके ढंगका विधान स्वीकार किया जा सकता है; बाजार के सिद्धान्तको भी स्वीकार करनेकी तैयारी इस शर्तपर प्रकट की कि वह कानूनन लादा न जाये । एक पत्र में गोखलेको लिखा कि जोहानिसबर्ग में वे 'बड़ी कठिनाइयोंसे' बस सके हैं । दक्षिण आफ्रिकामें एशियाई प्रवासके प्रश्नके अध्ययन और भारतमें उसके विरोध में आन्दोलन चलानेकी प्रार्थना की। मई १६ : दादाभाई नौरोजीको खबर दी कि ट्रान्सवाल-सरकार पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) -करके. रूपमें ३ पौंड वसूल करनेका प्रयत्न कर रही है । मई २२ : अनिवार्य पंजीकरण कर और उपनिवेशमें भारतीयोंके सामान्य प्रश्नपर ट्रान्सवालके गवर्नर लॉर्ड मिलनरसे मिलनेवाले शिष्टमण्डलका नेतृत्व किया । मई २४ : शिष्टमण्डलते लॉर्ड मिलनरके सामने जो माँगें रखीं उनसे दादाभाई नौरोजीको अवगत कराया । मई ३१ : दादाभाई नौरोजीसे अपने साप्ताहिक पत्र-व्यवहार में आग्रह किया कि ऑरेंज रिवर कालोनी में भारतीयोंको भेदभाव भरे बर्तावसे बचाने की जरूरत है। केप कालोनी में बाजार- कानूनके बनाये जानेकी सूचना दी और वर्तमान कानूनको रद कराने में ही प्रयत्नोंको केन्द्रित करनेकी आवश्यकतापर जोर दिया। जून ४ : मनसुखलाल नाज़रके सम्पादकत्व में इंडियन ओपिनियनका प्रकाशन प्रारम्भ | जून ६ : गांधीजीने ब्रिटिश समितिको तार दिया कि आशा है इंग्लैंड सरकार भूतपूर्व भारतीय गिरमिटिया मजदूरोंका अनिवार्य रूपसे वापस किया जाना मंजूर नहीं करेगी। दादाभाई नौरोजीको लिखे गये अपने नियतकालीन वक्तव्यमें भूतपूर्व भारतीय गिरमिटिया मजदूरोंके अनिवार्य रूपसे वापस किये जानेका विरोध किया और इस बातपर जोर दिया कि यदि नेटाल और केप कालोनी में बाजार और बस्तियोंके कानून स्थायी बना दिये गये तो उससे 'यारतीय हितोंकी बड़ी हानि होगी । जून ८ : ट्रान्सवालके गवर्नरको एशियाई दफ्तर और बाजार सूचनाकी हानियोंका विवरण तथा बस्तियोंमें जमीनकी मालिकीपर रोक उठाने और जीवन तथा व्यापार करनेकी स्वतन्त्रता लौटानेकी माँग करते हुए अर्जी दी । जून १० : भारतीयोंको बतनियोंके साथ शामिल करनेवाले नगरपालिका चुनाव अध्यादेशके मसविदेमें | सुधारकी माँग करते हुए नेटाल विधानसभाको अर्जी दी । जून २३ : प्रवासी प्रतिर्वन्धक विधेयकमें सुधार सुझाते हुए नेटाल विधान परिषदको प्रार्थनापत्र दिया। जून ३० : हरिदासभाई वोराको पत्र लिखा, जिसमें धन्धेकी सफलता, सार्वजनिक कार्य में होनेवाले श्रम और लगभग बारह वर्ष जोहानिसबर्ग में रहनेकी अपनी तैयारीका उल्लेख किया । जुलाई ४ : एशियाई विरोधी कानूनोंको नरम करनेके विरोध में जो लोग अपने स्वार्थ के कारण हो-हल्ला मचा रहे थे, गांधीजीने उन्हें जवाब देनेवाले “सुसंचालित आन्दोलन " की भारत भरमें आवश्यकतापर जोर देते हुए गोखलेको पत्र लिखा । Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५५२
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