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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सकते हैं। और अगर तुम्हारे मनमें किसी ऐसी चीजका खयाल है जो प्राकृतिक उपचारसे भी परे है, अर्थात् अगर तुम्हें ईश्वरमें ऐसी आस्था है कि तुम अपने-आपको उसके हाथों में सौंपकर निश्चिन्त रह सकते हो तो मैं स्वीकार करता हूँ कि अबतक में उस अवस्थाको प्राप्त नहीं कर पाया हूँ। हम कष्ट-साध्य प्रयत्नोंके बलपर ही उस स्थितिको प्राप्त कर सकते हैं। हम उसे ऊपरसे किसी पोशाककी तरह पहन नहीं ले सकते। और न किसीको दलीलके जरिये इस बातका पूरा-पूरा बोध कराया जा सकता है कि हमारे भीतर एक "सर्व-रक्षक शक्ति" बैठी हुई है।

तुमसे मैं अपनी बातें विस्तारपूर्वक इसलिए कह रहा हूँ कि मैं तुम्हारी सदाशयता और उत्कटताका आदर करता हूँ, लेकिन देखता हूँ, तुममें अधैर्य और असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। यह चीज तो प्राकृतिक चिकित्साके पक्ष-पोषकके रूपमें तुम्हारे मार्गमें एक बाधा है। तुम फिर मनमें यह धारणा न बना बैठना कि जिन चीजोंका स्वाद कड़वा होता है, वे सबकी-सब बुरी ही होती है। कड़वाहट, मिठास आदि तो सापेक्ष शब्द है। क्या तुम्हें मालूम है कि कुछ लोगोंको कड़वाहटकी अपेक्षा मिठाससे कहीं ज्यादा अरुचि होती है? क्या तुम इस बातसे सहमत नहीं हो कि कड़वी नीमकी पत्तीके नियमित सेवनकी अपेक्षा चीनीका नियमित सेवन ज्यादा हानिकर होता है? और में तो नहीं कह सकता कि नीमकी दातौनसे ठीक तरहसे अपने दाँत साफ करनेवाला आदमी अपने मुँहको अच्छी और स्वस्थ हालतमें नहीं रख सकता या तुम नीमकी दतौन करनेवालेको भी चम्मच-भर मीठे पाउडरसे ही अपने दाँत साफ करनेको कहोगे ?

और अन्तमें इस सूत्र-वाक्यके अनुसार कि "ऐ वैद्य, तू पहले अपने आपको तो ठीक कर," मैं तुमसे कहूँगा कि तुम पहले खुद ही बलिष्ठ और हट्टे-कट्टे बनकर लोगोंके सामने एक पदार्थ-पाठ पेश करो और इस तरह प्राकृतिक चिकित्साका प्रचार करो।

यह पत्र में तुमको इस खयालसे नहीं लिख रहा हूँ कि तुम आइन्दा मुझपर इसी तरह आलोचनाओंकी बौछार न किया करो। हाँ, इतना जरूर है कि तुमको भी मेरी ओरसे बौछार सहनेके लिए तैयार रहना चाहिए।

पता नहीं, आश्रम आनेको इच्छुक उन दो मित्रों के बारेमें और नेल्लूर आश्रमके विषयमें कुछ दिन पहले लिखा मेरा पत्र तुमको मिला या नहीं। उसे विजगापट्टमके पतेपर भेजा गया था। उस समय तुमने और कोई पता दिया ही नहीं था।

हृदयसे तुम्हारा,

श्रीयुत डी० हनुमन्तराव

मार्फत डी० वी० रामस्वामी अय्यर

विजगापट्टम

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३५०) की फोटो-नकलसे।