पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/७१

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३६. पत्र : पुरुलिया कुष्ठ आश्रमके अधीक्षकको

साबरमती आश्रम
१९ फरवरी, १९२६

प्रिय मित्र,

आपके तत्काल और सविस्तार उत्तरके[१] लिए धन्यवाद। मैं उसकी एक प्रति उन बीमार मित्रको भेज रहा हूँ। वे एक कालेजमें प्राध्यापक हैं और मैं जानता हूँ कि आपने इस सिलसिले में जो कोशिशें की हैं, उनके लिए वे कृतज्ञ होंगे।

कृपया डॉ० सान्त्राको मेरी याद दिला दें।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४११०) की माइक्रोफिल्म से।

३७. पत्र : आ० टे० गिडवानीको

साबरमती आश्रम
१९ फरवरी, १९२६

प्रिय गिडवानी,

पुरुलिया से आये जवाबकी नकल पत्रके साथ भेज रहा हूँ। मूल पत्रको भविष्य में प्रयोग करनेके लिए रख रहा हूँ। मैं समझता हूँ कि दूसरा उपाय आजमाना बेहतर होगा। श्री शार्पके पत्रसे जाहिर होता है कि चिन्ताका कोई कारण नहीं है। मैं आशा करता हूँ कि वैसे आप बिलकुल ठीक-ठाक होंगे।

संलग्न : १

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४१११) की माइक्रोफिल्मसे।

 
  1. गांधीजीके १०-२-१९२६ के पत्रके जवाब में; देखिए खण्ड २९, पृष्ठ ४४७-४८।