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५३६. स्कूलोंमें तकली

मैं निस्संकोच होकर डोंडाइच (पश्चिमी खानदेश) की राष्ट्रीय पाठशालामें तकलीसे कताईकी प्रगतिपर, नीचे दी हुई व्यावहारिक रिपोर्ट पाठकोंके लाभार्थ प्रायः पूरी-पूरी दे रहा हूँ ।[१]

स्कूलमें धुनाई शुरू करनेमें कोई देर नहीं करनी चाहिए।[२] किसी भी लड़के या लड़कीको तबतक पक्का कातनेवाला नहीं कहा जा सकता, जबतक उसे बुनना और पूनियाँ बनाना न आता हो। इसका तो कोई कारण ही नहीं है कि जबतक लड़के धुनना नहीं सीख लेते, तबतक शिक्षक ही उनकी रुई क्यों न धुन दें। राष्ट्रीय पाठशालाओंके शिक्षकगण अपनेको वेतनभोगी साधारण नौकर ही न समझें। वे राष्ट्रकी आर्थिक उन्नति और लड़कोंके नैतिक, मानसिक तथा शारीरिक उत्थानके न्यासी हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १४-१०-१९२६

५३७. खादी प्रदर्शनियाँ

खादी प्रदर्शनियोंमें बिहार विशिष्ट बनता जा रहा है। नीचे जमशेदपुरकी एक प्रदर्शनीकी, जो कि बिहारकी १४ वीं प्रदर्शनी है, बिलकुल हालमें आई हुई रिपोर्ट दी जा रही है।[३]

अहमदनगर (महाराष्ट्र) में भी एक सफल प्रदर्शनी की गई थी। यह ११ से १९ सितम्बरतक की गई थी। जो रिपोर्ट मेरे सामने है, उसमें लिखा है कि इस प्रदर्शनीमें सेठ जमनालाल बजाज, श्री बी॰ जी॰ हॉनिमैन, श्री खाडिलकर, श्री जमनादास मेहता, श्री वी॰ वी॰ दास्ताने, श्री सी॰ वी॰ वैद्य, श्री शंकरराव लवाटे, श्री वामनराव जोशी और डा॰ साठे भी आये थे। इनमें लगभग दस हजार दर्शक आये थे और ये सभी श्रेणियोंके थे। इसमें नगद बिक्री ४,००० रुपयेकी हुई।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १४-१०-१९२६
  1. यहाँ नहीं दी गई है।
  2. रिपोर्ट में कहा गया था, पिंजाई छात्रोंके कृषि कार्य समाप्त होनेपर एक मास बाद आरम्भ की जायेगी।
  3. रिपोर्ट यहाँ नहीं दी गई है। इसमें १५ सितम्बरसे २३ सितम्बरतक बिहार खादी विभाग द्वारा जमशेदपुरमें आयोजित प्रदर्शनीका हाल दिया गया था। इसका उद्घाटन एफ॰ सी॰ टेम्पलने किया था। रिपोर्ट में उनका संक्षिप्त भाषण भी दिया गया था, प्रदर्शनीमें राजेन्द्र बाबू और कई अन्य प्रमुख लोग भी थे। कुल मिलाकर १०,००० लोगोंने प्रदर्शनी देखी थी।