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पत्र: जुबेदा बानोको


मेरा खयाल है कि अब आगे कुछ करनेकी जरूरत नहीं।

मुझे उम्मीद है कि आप अच्छी तरहसे हैं। इधर कुछ दिनोंसे सतीशबाबूने मुझे कोई पत्र नहीं लिखा। मैं आशा करता हूँ, वे और हेमप्रभादेवी—दोनों अच्छे होंगे।

हृदयसे आपका

श्रीयुत क्षितीशचन्द्र दासगुप्त


२९, चरकडाँगा रोड


कलकत्ता

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११२४० ए॰) की माइक्रोफिल्मसे।

५४०. त्र: नॉर्मन लीजको

आश्रम
साबरमती
१४ अक्तूबर, १९२६

प्रिय मित्र,

आपके पत्र[१] और अदालतके सामने श्री तारिणीप्रसाद सिन्हा द्वारा दिये गये वक्तव्यके लिए धन्यवाद। आपकी 'केनिया' नामक पुस्तककी एक प्रति मेरे पास है। लेकिन यदि आप अपने हस्ताक्षरोंसे युक्त एक और प्रति भेज सकें तो मैं उसे मूल्यवान मानूँगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १२१७३) की फोटो-नकलसे।

५४१. पत्र: जुबेदा बानोको

आश्रम
साबरमती
१४ अक्तूबर, १९२६

मेरी कमसिन दोस्त,

तुम्हारी चिट्ठी अच्छी लगी। तुम्हें धीरे-धीरे अपनी लिखावट सुधारनी चाहिए। लेकिन तुमने जो कुछ लिखा है वह एक दस सालकी लड़कीके लिहाजसे बुरा बिलकुल नहीं; खास तौरसे यह देखते हुए कि तुमने सिर्फ पिछले चार महीनोंसे अंग्रेजी पढ़ना शुरू किया है। मैं इस वक्त पढ़नेके लिए तुम्हें ऐसी कोई भी अंग्रेजी किताब नहीं सुझा सकता जिसे तुम अच्छी तरहसे पढ़ और समझ सको। मेरी तुम्हें यही सलाह है कि

  1. देखिए परिशिष्ट ३।