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अहिंसाके लिए कमर कसो

पड़ गया है—कबसे पड़ा है, यह नहीं मालूम। लेकिन इसी प्रकार और कई दोष भी तो हिन्दू समाजमें घुस आये हैं, किन्तु यह मैं जरूर जानता हूँ कि हिन्दू धर्म प्रत्येक व्यक्तिको मोक्ष पानेके हेतु, जो जन्म पानेका एकमात्र कारण है, चाहे जिस मार्गका अनुसरण करनेकी पूरी स्वतन्त्रता देता है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २१-१०-१९२६

५५५. अहिंसाकी जटिल समस्याएँ

एक मिल मालिकने कुछ कुत्ते मरवा डाले क्योंकि उनमें से कुछ पागल हो गये थे और भय था कि वे किसी भी क्षण किसी कर्मचारीको न काट लें। किन्तु इससे अहमदाबादके प्रभावशाली जैन समाजके कुछ सदस्य नाराज हो गये। उनमें बहुतसे मेरे भी मित्र हैं जो अहिंसाके विषयमें मुझे प्रामाणिक व्यक्ति मानते हैं। मुझे विवश होकर अनिच्छापूर्वक इस विवादमें पड़ना पड़ा है। अब यह अहमदाबादकी गुजराती बोलनेवाली जनताका ही मामला नहीं रहा; बल्कि उससे आगे बढ़ गया है। इसलिए मैं यथासम्भव अहिंसाके विस्तृत क्षेत्रको लेकर जो लेखमाला[१] लिख रहा हूँ उसका अनुवाद करके 'यंग इंडिया' के पाठकोंको दे रहा हूँ। मुझे सन्देह नहीं कि 'यंग इंडिया' के बहुतसे पाठक, जो अहिंसाके सिद्धान्त और विकासमें रुचि रखते हैं, इस लेखमालाके अनुवादका स्वागत करेंगे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २१-१०-१९२६

५५६. अहिंसाके लिए कमर कसो

एक मित्रने न्यूयॉर्क (अमेरिका) के समाचारपत्र 'नेशन' में से काटकर एक कतरन भेजी है। उसमें यह लिखा है:

कुछ दिन हुए (सन् १९२४ के अन्त या १९२५ के प्रारम्भमें) चीन देशमें रहनेवाले २५ अमेरिकी पादरियोंने पिकिंगके अमेरिकी राजदूतके पास निम्नलिखित प्रार्थनापत्र भेजा था:
निम्न अमेरिकी पादरी, चीन देशमें भ्रातृत्व और शान्ति-धर्म के प्रचारक बनकर आये हैं। हमारा काम है स्त्रियों और पुरुषोंको ईसाकी उस नई जीवनविधिमें दीक्षित करना जिससे बन्धुत्वका प्रसार होता है और युद्धके अवसरोंका
  1. देखिए "क्या यह जीवदया है?" १०-१०-१९२६, १७-१०-१९२६, २४-१०-१९२६ और ३१-१०-१९२६।