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६५. टिप्पणियाँ

स्वर्गीय सर लल्लूभाई आशाराम

सर लल्लूराम आशारामके देहान्तसे कौन दुःखी नहीं होगा? वे गुजरातके भूषण थे। उनकी न्याय- बुद्धिके बारेमें सब एक स्वरसे स्तुति कर रहे हैं। स्वयं मुझे उनका परिचय बहुत कम था। लेकिन मैं जहाँ-जहाँ सुनता हूँ वहाँ-वहाँ मेरे कानोंमें उनके चारित्र्यकी स्तुति ही सुनाई पड़ती है। विद्वत्ता, लक्ष्मी और चारित्र्य इन तीनोंका संगम भाग्यसे ही दिखाई देता है; सर लल्लूभाईमें यह दुर्लभ संगम सिद्ध हुआ था। प्रत्येक गुजराती और प्रत्येक भारतीय उनपर गर्व कर सकता है और उनके गुणोंका अनुकरण कर सकता है। सर लल्लूभाईके कुटुम्बीजनोंको ईश्वर इस महादुःखको सहन करनेकी शक्ति और धीरज दे।

काठियावाड़ में खादीकी फेरी

मैं लिख ही चुका हूँ कि अमरेली खादी कार्यालयने बड़ी मात्रामें खादी तैयार की है। मेरा मत है कि इस खादीकी खपत काठियावाड़में ही होनी चाहिए। यह तो हमारा दुर्भाग्य है कि हमें खादीकी फेरी करनी पड़ती है। यदि खादीकी बिक्री घर बैठे हो जाये तो फेरी करनेवालोंकी शक्तिका व्यय और अधिक खादी तैयार करने में हो सकता है। खादी कोई शौककी खातिर तैयार नहीं की जाती, अपितु बेरोजगार बहनोंको धन्धा देनेकी खातिर की जाती है। इस बातको जाननेवाले काठियावाड़ियोंको काठियावाड़की खादीका उपयोग कर लेना चाहिए। इसमें भारतवर्षकी सेवा है। इसमें सच्चा अर्थशास्त्र भी है। हम सब यदि अपना-अपना बोझ उठा लें तो समस्त संसारकी सेवा उसमें ही हो जाती है। सारी दुनिया दूसरोंका बोझ उठानेके इस महाकष्टसे ही पिसी जा रही है। यदि अधिकांश धनवान गरीबोंके कन्धोंपरसे उतर जायें तो उनका बोझ कम हो जाये। लेकिन दुनियामें अमीर और गरीब तो हमेशा रहेंगे। इससे गरीबोंकी सेवा करनेका धर्म उत्पन्न होता है। हममें गरीबोंके समान बननेकी शक्ति भले ही न हो परन्तु उनके दुःखमें भाग लेनेकी शक्ति तो सबमें हो सकती है।

कातनेकी आवश्यकता इसीलिए है। यदि हम गरीबोंके काते सूतकी खादी उन्हींसे बुनवाकर पहनें तो कहा जा सकता है कि हमने उनकी उतनी सेवा की है।

अब यह सेवा हमें अपने पड़ोसीकी सेवासे शुरू करनी चाहिए। इसीलिए काठियावाड़की खादीको सबसे पहले काठियावाड़ियोंको ही खरीदना चाहिए।

लेकिन कहा जाता है कि वह तो महँगी पड़ती है, मोटी है, साफ नहीं होती और टिकाऊ नहीं है। उसमें ये सब दोष हों तो भी मेरा मत है कि उसे खरीदना चाहिए। माँकी बनाई हुई मोटी और टेढ़ी रोटी दिल्लीकी गोल, सुन्दर और सस्ती रोटीसे ज्यादा अच्छी है।