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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खद्दर और मद्रास सरकार

श्रीयुत सी० वी० रंगम चेट्टीने मद्रास सरकारको निम्न लिखित पत्र भेजा है:

मैं नम्रतापूर्वक आपके ध्यान में यह बात लाना चाहता हूँ कि जब हमारे फेरीवाले हाथ-कते सूतकी हाथबुनी खादी लेकर सरकारी नौकरोंके पास जाते हैं तो उनमें से कुछ लोग उसको खरीदते हुए बुरी तरह डरते हैं। उनका खयाल है कि उन्हें इन कपड़ोंको नहीं खरीदना चाहिए। आप जानते हैं कि बम्बई सरकारने लोगोंसे खुला अनुरोध किया है कि वे भारतीय उद्योगोंको प्रोत्साहन दें। पिछली गर्मीमें मेरे फेरियोंने ऊटीमें ८०० रुपयेकी खादी बेची थी। ज्यादातर खरीदार सरकारी नौकर। मेरी प्रार्थना है कि आप कृपा करके मुझे यह बतायें कि सरकारी नौकरोंको हाथ-कते सूतकी हाथ-बुनी खादी खरीदने की इजाजत है या नहीं और इस बारेमें उन्हें मद्रास सरकारसे डरनेकी जरूरत तो नहीं है।

उनको मद्रास सरकारकी ओरसे इसका निम्न उत्तर मिला है:

अखिल भारतीय चरखा संघकी 'आन्ध्र शाखा' के अवैतनिक व्यवस्थापकको सूचित किया जाता है कि सरकारके पास यह माननेका कोई कारण नहीं है कि उनके किसी कर्मचारीको ऐसा कोई भय या खयाल है जैसा बताया गया है। मैं दोनों पक्षोंको बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि यदि कोई ऐसे सरकारी नौकर हों जो सरकारके भयसे खादी खरीदनेसे इनकार करते हों तो वे अपने भयका और विदेशी कपड़ोंका त्याग कर देंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २५-११-१९२६

७६. प्रार्थनाका एक दिन

श्री सी० एफ० एन्ड्रयूजने मेरे पास निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण तार भेजा है : कार्यकारिणी द्वारा आगामी १९ दिसम्बर को, यानी जिस दिन सम्मेलन शुरू होगा, उस दिनको प्रार्थना दिवसके रूपमें मनाना निश्चित। इसमें पादरी लोग सहयोग कर रहे हैं। अच्छे-अच्छे यूरोपीय लोगोंसे सलाह करनेपर मालूम होता है कि शायद लोग इसे खूब पसन्द करेंगे। सरोजिनी देवीको सूचित करें।

श्री एन्ड्रयूज एक अत्यन्त धार्मिक वृत्तिके पुरुष हैं और इसलिए प्रार्थनामें उन्हें श्रद्धा है। प्रार्थना ही उनकी राजनीतिका नियमन करती है, उसे खुशरंग करती है और ऊपर उठाती है। उनके लिए प्रार्थना कोई थोथी दलील नहीं है। उनके लिए प्रार्थनाका अर्थ है, परमेश्वरके साथ घनिष्ठ और निरन्तर सम्बन्ध बनाए रखना और