पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/४९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४६३
भाषण : कांग्रेस अधिवेशन, गौहाटीमें

यहाँका दृश्य सुन्दर है। हमारी कुटिया विशाल ब्रह्मपुत्रके किनारेपर ही है। यहाँ नमी और ठण्डक है; हवा बहुत चलती है। लेकिन तेजीसे व्यायाम किया जाये, तो यह मौसम बहुत ही स्वास्थ्यप्रद है। मैं आमतौरपर कांग्रेस-मण्डपतक पैदल ही जाता हूँ। वह एक मीलसे कुछ अधिक ही पड़ता है।

कल कलकत्तेके लिए रवाना हो रहा हूँ। वहाँ चार दिन रहनेका इरादा है।

सस्नेह,

बापू
 

अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ५१९३) से ।

सौजन्य : मीराबहन

१८४. भाषण : कांग्रेस अधिवेशन, गौहाटीमें '

२८ दिसम्बर, १९२६
 

आप उन लोगोंमें पूर्ण स्वतंत्रताकी भावना उत्पन्न करना चाहते हैं जिनमें परस्पर फूट है। बुद्धिमान व्यक्ति इतना बड़ा ग्रास कभी नहीं लेता, जिसे वह निगल न सके । मान भी लें कि पूर्ण स्वतन्त्रता ऐसी चीज है जो स्वराज्यसे कहीं अधिक बड़ी है, तो भी मैं आपसे कहता हूँ कि आप धीरज रखें और इस समय जितना प्राप्त करना सम्भव है उतना प्राप्त करनेके बाद ही अगली सीढ़ीपर कदम रखें। मेरे लिए तो अभी एक ही कदम काफी है, लेकिन बातकी तहमें जायें तो मैं आपसे कहूँगा कि स्वराज्यमें पूर्ण स्वतन्त्रता भी शामिल है, और पूर्ण स्वतन्त्रताके इसमें शामिल होने के कारण ही श्री जिन्ना और पण्डित मालवीयने उसका विरोध किया; और श्री जिन्ना तो कांग्रेससे निकल ही गये । हम यह बात बिलकुल स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यदि सम्भव हो तो हम साम्राज्यके अन्दर रहना चाहते हैं। आप मानव स्वभावमें और स्वयं अपने में आस्था क्यों खोते हैं ? आप अपनी इस क्षमतामें कि आप अंग्रेजोंका दर्प खण्डित करके उनसे अपनी सेवा करवा सकते हैं, आस्था क्यों खोते हैं? यदि आपको गोरी चमड़ीसे चिढ़ है तो क्या आप सभी अंग्रेजोंको निकाल बाहर करना चाहते हैं, यहाँतक कि अंग्रेजी पढ़ाने के लिए भी कोई अंग्रेज नहीं रखना चाहते ? दक्षिण आफ्रिकाका उदाहरण लीजिए; वहाँ डच बोअर जैसी दर्पीली जातिके लोग हैं। लेकिन वे भी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखते। जनरल हर्टजोग लन्दनसे लौटे तो पूरी तरह उनका हृदय परिवर्तन हो चुका था। वह जानते हैं कि यदि वह आज स्वतन्त्रताकी घोषणा करना चाहें, तो स्वतन्त्रता मिल सकती है। ब्रिटिश संसद हमें कोई भी संविधान क्यों न प्रदान करे, मैं उससे तबतक सन्तुष्ट नहीं होऊँगा जबतक उस संविधान में स्वतन्त्रता घोषित करनेका वैसा ही अधिकार हमें भी न दिया गया हो, ताकि यदि हम अपनी स्वतन्त्रता घोषित करना चाहें तो उसे घोषित कर सकें

१. गांधीजी विषय-समितिको बैठकमें स्वतन्त्रताके प्रस्तावपर बोल रहे थे।