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१९३. पत्र: मगनलाल गांधी को

सोमवार [दिसम्बर, १९२६]
 

चि० मगनलाल,

तुम्हारे दो पत्र मिले हैं। तुमने संयुक्त भोजनालयमें खाना शुरू किया, यह ठीक हुआ ।


केशुकी स्थिति के बारेमें मुझे बताना। रामचन्द्र कोस कोई यों ही बनाकर नहीं बेच सकता। उसके पेटेन्टको तुमने फिरसे रजिस्टर करवाया है या नहीं। यदि पेटेन्ट आफिससे कागजात आ गये हों तो देने में जो बाकी रह गया हो, वह भर देना । बेस्ट एण्ड कम्पनीको तो हम तभी भुगतान कर सकते हैं जब पेटेन्ट सम्बन्धी काम पूरा हो जाये अथवा हम लिफ्ट बेचने लगें ।

काकासाहबको दक्षिण आफ्रिका सम्बन्धी प्रार्थनाकी रिपोर्ट बनाकर एन्ड्रयूजको भेजनी चाहिए। ज्यादा लिखनेका समय नहीं है। रातके दस बज रहे हैं।

बापूके आशीर्वाद
 

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ७७४९) से ।

सौजन्य : राधाबहन चौधरी

१९४. पत्र : मणिबहन पटेलको

[ १९२६ ]
 

चि० मणि,

तेरा पत्र मिला। वाह, यदि अविवाहित लड़कियाँ बीमार पड़ें तो अपना दुखड़ा किसके पास रोऊँ ? यह तो समुद्रमें आग लगनेके समान हुआ। सेवा करनेके लिए भी शरीर-रक्षाकी कला सीख लेनी चाहिए। मेरा तो ख्याल है कि जैसे तुम सब कपड़े पहनती हो वैसे ही रातको मच्छरदानी भी लगानी चाहिए। और तो मैंने बच्चोंके पत्रमें जो लिखा है सो देखना ।

१. १९ दिसम्बर, १९२६ को दक्षिण आफ्रिकामें होनेवाले गोलमेज सम्मेलनको सफलताके लिए प्रार्थना- दिवसके रूप में मनाया गया था। इसकी पत्रमें चर्चा की गई है, इससे मालूम होता है कि यह पत्र किसी समय दिसम्बरमें लिखा गया था।

२. मगनलाल गांधी के पुत्र ।

३. चरसा था मोटका सुधरा हुआ रूप ।

४. साधन-सूत्रके अनुसार