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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कोई कम उम्र नहीं कही जायेगी। जो कपड़े फट जायें उन्हें यहाँसे मँगवा लेना । यदि कपड़े वहाँ सिल सकते हैं यानी दानी बहनको सीना आता हो तो यहाँसे खादी भेजी जा सकती है। और यदि वह न सी सके तो यहाँसे बनवाकर भेजे जा सकते हैं । वर्षगाँठके दिन कोई भी अच्छा काम करनेका निश्चय करना । रूखी' और आनन्दी बीमार पड़ गई हैं; दोनोंको बुखार आता है। उम्मीद है कि वे दो-तीन दिनोंमें ठीक हो जायेंगी।

गुजराती प्रति (एस० एन० १९६२७) की माइक्रोफिल्मसे ।

२००. पत्र : प्रभाशंकर पट्टणीको

आश्रम
 
साबरमती
 
शुक्रवार [ १९२६ ]
 

सुज्ञ भाईश्री,

बुखार आ जानेके बारेमें जो पत्र आया था उसके बाद फिर आपका और कोई पत्र नहीं आया इससे माने लेता हूँ कि अब चिन्ताकी कोई बात नहीं है। मैं चाहता हूँ कि आप खोई हुई शक्ति पुनः प्राप्त कर लें, फिर चाहे उसके लिए बहुत प्रयत्न भी क्यों न करना पड़े। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जबतक पूरी ताकत न आ जाये तबतक आप शासनके कार्यसे दूर रहें ? यदि आप पूरा आराम करें और खूब शक्ति प्राप्त करनेकी प्रतिज्ञा करें तो में त्रापज आनेके लिए ललचाऊँगा जरूर । लेकिन यदि में ऐसा करूँ तो मुझे आपके आसपास चौकीदार भी नियुक्त करने चाहिए। निरंकुश सत्ता क्या यह एक अंकुश सहन करेगी ?

मोहनदासके वन्देमातरम्
 

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ३२००) की फोटो-नकलसे तथा जी० एन० ५८८६ से भी ।

सौजन्य : महेश पट्टणी

१. मगनलाल गांधीको पुत्री ।

२. लक्ष्मीदास आसरकी पुत्री ।

३. पत्रमें प्रभाशंकर पट्टणीकी बीमारी और त्रापजमें जाकर रहनेकी चर्चासे लगता है यह पत्र इसी वर्ष लिखा गया होगा।