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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करते हुए आनन्द आयेगा और भाषा ज्यादा आसानीसे सुधरेगी। इस तरह मानसिक कसरत करनेसे बुद्धि भी विकसित होती है ।

बापूके आशीर्वाद
 

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ८७०३) से ।

सौजन्य : गगाबहन वैद्य

२०९. तार : परशुराम मेहरोत्राको

कलकत्ता

३ जनवरी, १९२७

परशुराम

सत्याग्रहाश्रम

वर्धा

तुम एक पखवारा 'स्त्रीदर्पण' को दे सकते हो ।

बापू
 

अंग्रेजी तार (जी० एन० ७४८७) की फोटो-नकलसे तथा सी० डब्ल्यू ४९६२से भी ।

२१०. पत्र : मीराबहनको

चि० मीरा,

तुम्हारे दो पत्र मिले। तुमपर क्या बीत रही है उसे मैं समझ रहा हूँ। इसकी मुझे खुशी ही है। मनुष्य जातिके तमाम दोषोंके बावजूद तुम्हें उससे प्रेम तो करना ही है। आश्रम अन्ततः साबरमतीमें नहीं, बल्कि खुद तुम्हारे अपने मनमें है। अवमसे- अधम प्राणीको भी हमें शुद्ध मानकर चलना चाहिए। सबके साथ समान व्यवहार करनेका, और परस्पर विरोधी तत्वोंवाले इस विश्व में पानीमें कमलकी तरह अलिप्त रहनेका यही अर्थ है ।

तुम्हारा कार्यक्रम समझमें आ गया। तुम उसे पूरा कर सकती हो। आगे तुम्हारा पत्र मिलनेतक में कन्या गुरुकुलके ही पतेपर लिखता रहूँगा ।

१. आश्रम में आने से पहले मेहरोत्रा 'स्त्रीदर्पण' नामक हिन्दी पत्रिकाके सम्पादक थे। उन्होंने 'स्त्री- दर्पण' को आर्थिक समस्याओंका निपटारा करनेके लिए गांधीजीसे कुछ दिनोंके लिए आश्रमसे छुट्टी मांगी थी।