२१५. भाषण : प्रार्थना सभामें
आपकी संस्थाएँ अग्रदूत हैं, ये जमनोत्री और गंगोत्रीके समान हैं। इसलिए इन्हें भी उन दो प्रवाहों की ही तरह पवित्र बनायें। जब मैं इनके विषय में सोचता हूँ तब मुझे ऐसा लगता है, मानो दो सुन्दर घोड़े एक-दूसरेसे स्पर्धा करते हुए, बड़े वेगसे एक साथ खादीके रथको खींचे चले जा रहे हैं। इस अर्थमें आपकी सफलता अद्वितीय है कि आपने अपने मालकी बिक्रीके लिए अपने प्रान्तके बाहरके लोगोंकी सहायता नहीं ली है। आपने बंगालके स्त्री-समाजको अपनी इच्छाके अनुसार ढाल लिया है और आज वे आपके द्वारा तैयार की गई साड़ियोंको पहननेमें गर्वका अनुभव करती हैं। इसके लिए वे प्रशंसाकी पात्र हैं। तो अब आप एक-दूसरेकी खूबियों और खामियोंको अपनी मानिए; अपनी कठिनाईकी घड़ियोंमें खादी प्रतिष्ठान, अभय आश्रमसे सहायता ले और अभय आश्रम, खादी प्रतिष्ठानसे ।।
[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया १३-१-१९२७
२१६. भाषण : ग्रामीणोंकी सभा, कोमिल्लामें
महात्माजी अपने दलके साथ आश्रमके निकटवर्ती दो गाँवों, राजापुरा और मुराद- पुरमें गये जहाँ नामशूद्र रहते थे। उन्होंने उनके निवासियोंके सामने हिन्दीमें भाषण किया ।... ... उन्होंने कहा, आप लोग अपनेको किसीसे नीचा न समझें, और तथाकथित ऊँची जातिवालोंकी बुराइयोंकी नकल न करें। आप लोग शराब पीना छोड़ें और सादा तथा ईमानदारीका जीवन व्यतीत करें। महात्माजीने खद्दरके महत्व और उपयोगितापर विशेष जोर दिया और लोगोंसे कहा कि वे अभय आश्रमके सदस्योंका उदाहरण अपनायें।...
[ अंग्रेजीसे ]
अमृतबाजार पत्रिका, ७-१-१९२७
१. गांधीजीने यह भाषण अभय आश्रम, कोमिल्लाको प्रार्थना सभामें दिया था। इस संस्थाको डॉ० सुरेशचन्द्र बनर्जी चलाते थे। इस आश्रमके अन्तर्गत अस्पृश्योंके लिए सात स्कूल चल रहे थे और एक खादी भण्डार भी इसमें था। इस प्रार्थना सभामें दिये गये प्रवचनका केवल अन्तिम अंश ही उपलब्ध है।
२. यह रिपोर्ट महादेव देसाईके " साप्ताहिक पत्र " से ली गई है। उसमें कोई तिथि नहीं दी गई है। लेकिन इसे ५ जनवरीको हुई सार्वजनिक सभाकी रिपोर्टसे पहले स्थान दिया गया है।
३. तात्पर्यं खादी प्रतिष्ठान और अभय आश्रमसे है।