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भाषण : सार्वजनिक सभा, कटरासमें

भरको पर्याप्त भोजन और वस्त्र भी नहीं मिल पाता । मजदूर कमसे-कम १५-२० रुपया कमा तो सकते हैं, लेकिन उनके ग्रामीण भाई एक पैसेका मुँह भी कभी ही कभी देख पाते हैं। क्या मजदूरोंके मनमें उनका भी कुछ ध्यान है ? मजदूर खुद गरीब हैं। तो फिर क्या यह उचित नहीं है कि वे अपनेसे भी ज्यादा गरीब लोगोंके कष्टोंको महसूस करें? यदि वे ऐसा महसूस करते हैं, तो उनका कर्तव्य है कि वे सिर्फ खद्दर ही पहनें। उनको गाँवोंमें रहनेवाली अपनी बहनोंके हाथ से कते शुद्ध सूतका बुना कपड़ा पहनना चाहिए। वे खद्दरके लिए जो भी कुछ खर्च करेंगे वह इन गरीब लोगोंको मिलेगा। जो स्त्रियाँ एक पाई भी नहीं कमा सकती थीं, वे अब दो आना रोज कमा रही हैं। मैं आपसे इस बातकी अपील कर रहा हूँ कि आप उस पैसेको अपने गरीब देशवासियोंके हाथमें जाने दें। आप खद्दर पहनकर उस पैसेसे उनकी मदद कर सकते हैं। ईश्वरीय नियम है कि मनुष्यको दुखमें पड़े मनुष्योंसे सहानुभूति करनी चाहिए। इसलिए मैं ईश्वरके नामपर आपसे अपील करता हूँ कि आप खद्दरके अलावा अन्य सभी कपड़ोंका बहिष्कार करें और नकद पैसेसे, भले ही वह कितना ही कम क्यों न हो, मुझे मदद दें ताकि मैं खादी-कार्य कर सकूँ। पिछले साल ९६ हजारकी खादी बिहार में तैयार की गई और ६ महीनेके भीतर ६० हजारकी खादी बेच दी गई। यह सारा पैसा गरीबोंके घर गया। खद्दर बेचनेके काममें इस वक्त काफी पैसा खर्च होता है। यदि आप लोग जिस तरह विदेशी कपड़ा खरीदते हैं, उसी तरह खद्दर खरीदें, तो उससे काफी पैसा बचाया जा सकता है और वह खादी उत्पादनके काममें लगाया जा सकता है। यदि आप यही करनेका निश्चय कर लें, तो देशके लिए जितनी खादीकी जरूरत है, सारीकी सारी यहीं बिना किसी कठिनाईके तैयार की जा सकती है। जरूरत सिर्फ आपकी सहानुभूति और सहायताकी है; क्या आप उसे देने से इनकार करेंगे ?

स्त्रियों को सम्बोधित करते हुए महात्माजीने कहा कि यदि आप स्वराज्य चाहती हैं, जो रामराज्यका पर्यायवाची है, तो आपमें से हरेकको सीता जैसा बनना चाहिए | सोता हृदयसे निष्कलुष थीं और हाथका कता-बुना खद्दर पहनकर अपना शरीर स्वच्छ रखती थीं। वह ऐसे समय में हुई थी जबकि हर घरमें चरखा होता था और हर औरत सूत काता करती थी। वह समय फिरसे वापस लाना है। घर-घरमें चरखेको अब भी वैसा ही महत्त्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिए जैसा कि चूल्हेका है।

अन्य लोगों को सम्बोधित करते हुए महात्माजीने कहा कि यदि आप स्वतन्त्रता पाना चाहते हैं तो आपको काफी त्याग अवश्य करना होगा। कमसे-कम आप इतना तो कर ही सकते हैं कि खद्दर पहनें । खादी आन्दोलनको आपका पूरे मनसे सहयोग मिलना चाहिए; आपको इस काम के लिए हर सम्भव आर्थिक मदद देनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने बताया कि किन परिस्थितियों में अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक