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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बताता हूँ। बल्कि मैं तो चाहूँगा कि लोग मुझे भंगी कहें। भंगीके पेशेको नीची निगाह- से नहीं देखना चाहिए। वह मानव-समाजको बड़ा लाभ पहुँचाता है। उसका काम घरके सबसे गन्दे हिस्सेकी सफाई करना है। इसलिए समाज उसका बहुत ऋणी है। उसका काम सेवाका काम है और उसे नीचा समझना नासमझी है। मेरी मां, और वस्तुतः प्रत्येक मां वही काम करती है जो एक भंगी करता है। क्या इसकी वजहसे आप अपनी मांसे घृणा करते हैं ? यदि मेरे बाल्यकालमें मेरी मांने मेरी खातिर भंगी- का काम न किया होता, तो मैं इतने दिनोंतक जीवित ही नहीं रह सकता था और न आपके बीच भाषण देने आता। पेशेके कारण भंगीको नीची निगाहसे नहीं देखना चाहिए। जबतक किसी आदमीका दिल मैला न हो, तबतक कोई कारण नहीं कि उसे नीच समझा जाये, भले ही उसका पेशा कितना ही नीचा क्यों न हो। इसलिए भंगियोंसे और वस्तुतः सभी मजदूरोंसे मेरी अपील है कि उन्हें दूसरे लोगोंके घरों की सफाई करनेके साथ-साथ अपनी भी सफाई करना शुरू करना चाहिए। मैं जानता हूँ कि मजदूरोंको शराब पीने, जुआ खेलने, बीड़ी पीने और अन्य गन्दी आदतों की लत है। उन्हें इन सब बुराइयोंसे मुक्त होना चाहिए। मैं पूर्ण मद्यनिषेधका सम- थंक हूँ, लेकिन जबतक वह नहीं हो जाता, उन्हें खुद उस गन्दी आदत से छुटकारा पानेका प्रयत्न करना चाहिए। सभी तरहके प्रलोभनोंके बीच रहकर उनसे बचनेमें ही मनुष्यको खूबी है। उन्होंने मजदूरोंसे अपील की कि वे ईश्वरके वास्ते और अपनी खातिर शराब पीना छोड़ दें।

जुआ खेलनेकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी बुरी आदत है । इसीके कारण पाण्डव अपना सब कुछ हार गये थे। लेकिन अन्तमें उन्हें सब कुछ फिर वापस मिल गया क्योंकि उनका पक्ष सत्यका पक्ष था । युधिष्ठिरने जो कुछ किया था उसपर उन्हें स्वयं पछतावा था । मजदूरोंकी वासनामय प्रवृत्तिको चर्चा करते हुए गांधीजीने कहा कि मैं जानता हूँ कि ऐसे लोग हैं जो अपनी पत्नीको छोड़ देते हैं और अपना धन और स्वास्थ्य कुटिल वेश्याओंके फेरमें पड़कर नष्ट करते हैं। यह बहुत बुरी आदत है । पत्नीके अलावा अन्य सभी औरतोंको बहनकी तरह मानना चाहिए।

बीड़ी और गाँजा पीना भी छोड़ देना चाहिए। मेरी समझमें नहीं आता कि लोग गाँजा क्यों पीते हैं। मैं जानता हूँ कि अमीर और विद्वान लोग भी सिगरेट-बीड़ी पीते हैं। लेकिन यह तो कोई कारण नहीं कि मजदूर लोग भी इसकी लत डालें। एक व्यक्तिको बुरी आदतोंकी लत हो तो कोई कारण नहीं कि अन्य व्यक्ति भी बुरी आदतें डाल लें। मेरी तो शिक्षित लोगोंसे भी अपील है कि उन्हें सिगरेट-बीड़ी पीना छोड़ देना चाहिए।

भाषण जारी रखते हुए महात्माजीने कहा कि मजदूरोंको याद रखना चाहिए कि ऐसे भी लोग हैं जो उनसे भी ज्यादा गरीब हैं। मजदूरोंके पास शराव, जुआ, बीड़ी आदिपर खर्च करनेको पैसा है, लेकिन गाँवोंमें ऐसे लोग हैं जिन्हें जिन्दा रहने