पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/७४

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३४. पत्र : फीरोजको

१५ नवम्बर, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। वासनाओंके निग्रहके लिए कोई राजमार्ग नहीं है। इसके लिए लगातार प्रयत्न और निरन्तर ईश्वरकी प्रार्थना, इन दो बातोंकी जरूरत है।

हृदयसे आपका,

फीरोज

वी० चकवानो डाकघर फलिया
जिला गुजरात

पंजाब

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९७३८) की माइक्रोफिल्मसे।

३५. पत्र : फेलिक्स वाल्येको

१५ नवम्बर, १९२६

प्रिय मित्र,

श्री पिक्थॉलने[१] आपकी पत्रिकाके लिए एक लेख या संदेशकी मुझसे माँग की है। लेख लिखनेको मेरे पास एक क्षणकी भी फुर्सत नहीं है। में आपको यह कहनेके सिवा और क्या संदेश भेजूं कि मेरी राष्ट्रीयता प्रगाढ़ अंतर्राष्ट्रीयता है। मैं राष्ट्रों या धर्मोके झगड़ोंसे तंग आ गया हूँ।

हृदयसे आपका,

डा० फेलिक्स वाल्ये

होटल रिचमंड

जिनीवा

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९७३९ ) की फोटो-नकलसे।

  1. माडयूक पिवथॉल जो एक समयमें बॉम्बे क्रॉनिकलके सम्पादक रह चुके थे।