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सर हबीबुल्लाका शिष्टमण्डल

  कि डॉ॰ चैन क्या कर रहे हैं; लेकिन इतना मैं अवश्य जानता हूँ कि वे चीनकी सर्वसाधारण जनतासे अंग्रेजी भाषामें नहीं बोलते। मेरे लिखनेका केवल इतना ही अभिप्राय है कि हमारी मिश्रित सभाओंमें, जहाँ प्रान्तीय भाषाको सब लोग नहीं समझ सकते, अगर किसी दूसरी भाषाका उपयोग करना हो तो वह हिन्दुस्तानी भाषा ही होनी चाहिए। निःसन्देह यह ऐसा सुझाव है जिसका विरोध नहीं किया जा सकता।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १०-२-१९२७

६०. सर हबीबुल्लाका शिष्टमण्डल

सर हबीबुल्लाके शिष्टमण्डलके वापस लौट आनेपर मैं उसका अत्यन्त हार्दिक स्वागत करता हूँ। शिष्टमण्डलके कार्यका क्या परिणाम[१] हुआ इस सम्बन्धमें अभी जनताको पर्याप्त जानकारी नहीं है, इसलिए वह अपना कोई निश्चित मत नहीं बना सकती। किन्तु एक बात निश्चित है कि शिष्टमण्डलके सदस्योंने अपनी व्यवहारकुशलता, अपनी योग्यता और अपनी एकतासे गोलमेज परिषदके समय वातावरणको पूर्णतः शान्तिपूर्ण रखनेमें कम सहायता नहीं दी। हम यह आशा अवश्य कर सकते हैं कि इस वातावरणका प्रभाव उनके कार्यके परिणामपर भी पड़ा होगा। हमें दक्षिण आफ्रिकासे एक तार मिला है, जिसमें वहाँ बसे हुए कुछ भारतीयोंने अपनी राय प्रकट की है और गोलमेज परिषदके परिणामोंको उन्होंने अस्वीकार किया है। इस तारको बहुत महत्त्व देनेकी जरूरत नहीं है। इस विषयमें इतनी जल्दी राय नहीं दी जा सकती। ऐसी रायका आधार केवल अनुमान ही हो सकता है, क्योंकि बातचीतका परिणाम क्या हुआ है, इसे कोई नहीं जानता। इसलिए जबतक दोनों पक्षोंके बीच जो समझौता हुआ बताते हैं उसका पूरा मसविदा हमारे सामने नहीं आ जाता तबतक हम अपना निर्णय रोकनेके लिए बाध्य हैं। भारतीयोंके हितोंकी पूरी निगरानी करनेके लिए सदैव सजग रहनेवाले श्री एन्ड्रयूज दक्षिण आफ्रिकामें हैं।

इस सम्बन्धमें मुझे एक भारतीय प्रवासीने परिषदकी कार्रवाईके सम्बन्धमें निम्नलिखित विचार[२] लिख भेजे हैं; वे उचित हैं:

रायटर समाचार एजेंसी और श्री सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजके भेजे हुए हालके समाचारोंमें कहा गया है कि दक्षिण आफ्रिकी संघको जो उच्चतर दर्जा प्राप्त हुआ है उसके बाद उसने भारतीय प्रश्नपर अधिक उदारतासे विचार करना शुरू किया है।

माननीय शास्त्रीके[३] कथनानुसार भी गोलमेज परिषद सफलतापूर्वक समाप्त हुई है। श्री शास्त्रीने संघ और भारत सरकारके प्रतिनिधियोंके बीच हुए समझौतेपर

  1. देखिए "सम्मानजनक समझौता", २४-२-१९२७।
  2. यहाँ उन्हें अंशतः ही उद्धृत किया जा रहा है।
  3. वी॰ एस॰ श्रीनिवास शास्त्री।