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२५५. पत्र : आश्रमकी बहनोंको

मौनवार, चैत्र वदी २ [१९ अप्रैल, १९२७] ]

बहनो,

गंगाबहनकी गैरहाजिरीमें में यह पत्र तुम्हारे मन्त्रीको भेज रहा हूँ। गंगाबहनकी गैरहाजिरीमें तुम्हें कामचलाऊ प्रमुख नियुक्त कर लेना चाहिए। तुम्हारा काम अब तक इतना पक्का हो जाना चाहिए कि जैसे दूसरी संस्थाएँ अपने-आप सुव्यवस्थित रूपसे चलती हैं, वैसे ही यह भी अपने-आप चले। ऐसा होनेके लिए कोई नेत्री तो होनी ही चाहिए । नेत्रीको अधिकार थोड़े होते हैं, पर उसकी जिम्मेदारी बहुत होती है। वह निरन्तर अपनी संस्थाका हित सोचे और उसकी सेवाशक्ति सदा बढ़ाये ।

मालूम होता है तुमने राष्ट्रीय सप्ताह बहुत अच्छे ढंगसे मनाया । पाखाने साफ करनेकी जिम्मेदारी तुमने उठा ली, यह बहुत अच्छा हुआ। इसी प्रकार अपनी शक्तिके अनुसार जिम्मेदारियाँ लेती रहना ।

जो बहनें आश्रमसे बाहर काम करने जायें, उनके साथ सम्बन्ध बनाये रखना। राजीबहन और चम्पावतीबहन के साथ सम्बन्ध रखा होगा। राजीबहनका काम कैसा चल रहा है ? यदि जानती हो तो मुझे लिखना।

ऐसा जान पड़ता है कि मेरी तन्दुरुस्ती सुधर रही है। इसके लिए फिलहाल मैं एक सरल प्रयोग कर रहा हूँ। उसके सफल हो जानेपर उसके उपयोग अनेक होंगे। मगर अभी उसका वर्णन लिखकर मैं तुम्हारा समय लेना नहीं चाहता। शायद अगले सप्ताह लिखनेका साहस करूँ ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ३६४५) की फोटो-नकलसे ।

२५६. पत्र: कुवलयानन्दको

नन्दी हिल्स, मैसूर
१९ अप्रैल, १९२७

प्रिय मित्र,

आपने बाबा साहब सोमनको जो पत्र लिखा है उसके लिए धन्यवाद । आपने उस पत्रमें जरूरत पड़नेपर तुरन्त मैसूर आनेके लिए अपनी सहमति प्रकट की है और यह लिखा है कि २६ तारीखके बाद तो जरूरत होनेपर आप हर हालतमें आ ही सकते हैं। मैं चाहूँगा कि आप २६ तारीखके बाद जितनी जल्दी हो सके नन्दी

१. पत्रसे स्पष्ट है कि इस समय गंगाबहन आश्रमकी बहनोंकी प्रमुख थीं; वर्ष का अनुमान इसो आधारपर किया गया है। Gandhi Heritage Portal