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४६४. पत्र : बेसिल मैथ्यूजको

प्रिय मित्र,
श्री के० टी० पॉलने अभी-अभी आपका पत्र खुद मुझे दिया है।
आपके सवालका मेरा यह जवाब है :

श्री बेसिल मैथ्यूज सम्पादक, 'वर्ल्डस यूथ' ३, रू जनरल डफोर, जेनेवा सत्य और प्रेम संयुक्त रूपसे मेरे जीवनके पथ-प्रदर्शक सिद्धान्त रहे हैं। जिस परमेश्वरकी व्याख्या नहीं की जा सकती, यदि कदाचित् सका कुछ भी निरूपण किया जा सकता हो, तो मैं तो यही कहूँगा कि ईश्वर सत्य है । सिवाय प्रेमके उस तक पहुँच पाना असम्भव है। प्रेमकी पूर्णरूपेण अभिव्यक्ति केवल तभी की जा सकती है जब मनुष्य अपनी खुदीको शून्यमें मिला दे । शून्यवत् होनेकी यह प्रक्रिया ही किसी स्त्री या पुरुष द्वारा किया जा सकनेवाला सर्वोत्तम प्रयत्न है। यही एकमात्र ऐसा प्रयत्न है जो करणीय है और यह केवल उत्तरोत्तर वर्धमान आत्मसंयम द्वारा ही सम्भव बनाया जा सकता है। सदैव नवयुवकोंकी सेवामें अंग्रेजी (एस० एन० १२५१४) की फोटो-नकलसे । ४६५. पत्र : हेनरी ए० एटकिन्सनको आश्रम साबरमती ८ जून, १९२७ १. स्थायी पता । २. देखिए परिशिष्ट ६ । ३. स्थायी पता । सत्याग्रह आश्रम साबरमती (भारत) ३ ८ जून, १९२७ प्रिय मित्र, श्री के० टी० पॉल, आपका पिछली ५ सितम्बरका पत्र मुझे अभी कल ही दे पाये हैं। उन्होंने मुझे बताया कि आप सम्भवतः इस साल सर्दियोंके मौसममें भारत- यात्रा करेंगे। यदि ऐसा हो तो शायद मुझे, मिलनेपर आपके प्रस्तावपर अधिक Gandhi Heritage Portal