पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  उससे लेना। मेरी नजर उसपर है। वह बसुमती बहनका सम्बन्धी भी है, किन्तु हमारे पास तो वह सीधा आया है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ८६९४) से।

सौजन्य: राधाबहन चौधरी

३६. भाषण: तुमसरमें[१]

२ फरवरी, १९२७

मेरा काम ही मेरी वाणी है।... मैं गोदियामें कुछ नहीं बोला। मैंने ५०० रु॰ की खादी-भर बेची और इतने-से ही खुश रहा। यह जानते हुए भी कि इस देशमें करोड़ोंका कपड़ा विदेशोंसे लाकर जुटाया जाता है, उसके मुकाबलेमें ५०० रु॰ की खादी तो समुद्रमें एक बूँदके बराबर है, मैं खुश क्यों हूँ? मैं जानता हूँ कि मेरा खुद खादी बेचकर, रसीदोंपर दस्तखत करके लोगोंको ललचाना कितनी लज्जाकी बात है। मगर जब आप खादी-जैसी स्पष्ट बातका भी महत्त्व नहीं समझते, तो मैं क्या करूँ?

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १७-२-१९२७

३७. अ॰ भा॰ च॰ संघके समाचार

अखिल भारतीय चरखा संघने सालकी शुरुआत बहुत अच्छी की है। २० जनवरी, १९२६ को इसकी सदस्य-सूचीमें प्रथम श्रेणीके २,३३४ और द्वितीय श्रेणीके ४१५ सदस्य थे। इस वर्ष उसी दिन सदस्योंकी संख्या इस तरह थी: पहली श्रेणीमें १,४५८ दूसरीमें ११५ और बाल श्रेणीमें १५९। प्रथम श्रेणीके इन १,४५८ सदस्योंमें १,२१२ सदस्य तो पुराने हैं और २४६ नये। गत वर्ष नियमित रूपसे सूत भेजनेवाले १,०७७ सदस्य थे, यानी इस वर्ष प्रारम्भमें ही नये सदस्योंके अलावा १३५ और ऐसे सदस्य मिल चुके हैं जो सूतके रूपमें अपने हिस्सेका नियमित चन्दा भेजनेवाले सदस्य हैं। जो गत वर्ष अपना चन्दा नहीं भेज सके थे, वे तीन महीनेका चन्दा भेजकर अब इस सालके नये सदस्य बन जायें।

तकनीकी विभागने सदस्योंकी सूतकी मुस्तैदीसे जाँच करनी शुरू कर दी है। अबतक कमसे-कम ४६४ सदस्योंके सूतकी जाँच की जा चुकी है और उसका परिणाम उन्हें सूचित कर दिया गया है। अब सूतकी रसीदके फार्ममें तकनीकी विभाग द्वारा

  1. महादेव देसाईको "साप्ताहिक चिट्ठी" से।