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पत्र: मगनलाल गांधीको

  जॉनसे कहना कि वह मुझे पत्र लिखे। उसका भारतीय नाम क्या है? वह भारतीय नामसे पुकारा जाना पसन्द करता है या अंग्रेजी नामसे? गिरिराज कुछ कह गया है क्या?

मणिबहनके पत्रसे लगता है कि रसोई बहुत अच्छी तरह नहीं चलाई जा रही है और सब्जियाँ भी दो-तीन दिनकी सूखी हुई होती हैं। यह बात उसने अपने अनुभवसे नहीं, सुनकर लिखी है। इसलिए तथा चूँकि शंकरपर मुझे विश्वास है, इस कारण भी यह खबर मुझे सही नहीं लगती। लेकिन भोजनालयकी व्यवस्था पूरी तरह ठीक रहनी चाहिए, इस लोभसे मैं यह उड़ती खबर तुम्हें लिखे दे रहा हूँ।

जल्दी ही गाड़ी गोंदिया पहुँचेगी। इस समय उससे पहलेके स्टेशनपर खड़ी है, इसी बीच मैंने यह पत्र लिखा है।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च:]

चम्पासे कहना कि उसके गहने बम्बई पहुँच गये हैं और वहाँसे अब साबरमती पहुँच जायँगे। मीराबहनके जिन पत्रोंमें आलोचना की गई है, उन्हें सबको पढ़वाना शायद तुम ठीक न समझो; इसलिए इस बारेमें अपनी समझसे काम लेना।

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ७७७३) की फोटो-नकलसे।

सौजन्य: राधाबहन चौधरी

३५. पत्र: मगनलाल गांधीको[१]

गोंदिया
बुधवार [२ फरवरी, १९२७]

...उसे सन्तोष हुआ तो, ऐसा नहीं लगा। लेकिन उसका वहाँ आना धर्म था। रुखीकी गम्भीर रुग्णावस्थाके समय वह तुम्हारे समीप हो, उसके लिए यही शोभनीय था। मुझे यह भी लगा है कि अब वह यहाँ किसी भी कारखानेमें काम नहीं कर सकता। कारखानेसे उसे जो मिल सकता है, सो उसके पास है। उसे तो अपने बलपर ही तरक्की करनी है। मैंने तो उसे सुझाव दिया है कि वह तुम्हारा सचिव बनकर तुम्हारे कामकी देखभाल करने लग जाये। रुखीकी बीमारीमें सेवा करना एक बात है और अपने लिए स्थायी रूपसे कोई काम चुनना दूसरी बात। इस दूसरी बातपर तुम विचार करना और जैसा ठीक लगे सो लिखना।

७.[२] विक्रमको छः महीनेतक पढ़ना नहीं है; केवल शरीरश्रम करना है। उसे कातने और बुननेका काम करना है। इसलिए तुम्हें जो उचित लगे तुम वह काम

  1. पत्रका प्रारम्भिक अंश उपलब्ध नहीं है।
  2. साधन-सूत्रके अनुसार।