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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

देखते हैं, वैसे तो नहीं ही थे । इसलिए उन्होंने नई सभ्यताका निर्माण किया । हो सकता है कि यह सभ्यता उस भूमिके लिए सर्वथा उपयुक्त और पूर्ण हो, लेकिन जो चीज अमेरिकाकी गैर-आबाद धरतीके उपयुक्त हो, जरूरी नहीं कि वह चीज इस प्राचीन देशके लिए भी उपयुक्त हो, बल्कि वह उसके लिए उपयुक्त नहीं हो सकती और मेरे विचारसे वास्तवमें उपयुक्त नहीं है । क्योंकि इस देशकी परिस्थितियाँ अमेरिका- से सर्वथा भिन्न हैं । यहाँ बड़ी-बड़ी नदियाँ बहती हैं, उच्चतम पर्वत श्रृंखलाएँ इसके प्रहरी- का काम करती हैं, यहाँ ऐसे लोग रहते हैं जिन्हें अपने अतीतकी रक्षाका दुनियाकी सभी जातियोंमें सबसे अधिक मोह है, जिनकी अपनी परम्पराएँ हैं, रीति-रिवाज हैं और इन सबको क्षण भरमें नष्ट नहीं किया जा सकता। इसलिए मैं कहता हूँ कि यदि आप यह समझते हैं कि आप इस देशमें पश्चिमकी शहरी सभ्यताको ले आयेंगे और अपने गाँवोंको समूल नष्ट कर देंगे तो ऐसा आप केवल एक ही तरीकेसे कर सकते हैं, और वह है इतिहास - प्रसिद्ध चंगेज खाँका तरीका । में नहीं जानता कि चंगेजखाँने क्या किया और क्या नहीं किया। लेकिन इतिहासमें जो वर्णन मिलता है, वह यदि सच है तो में इतना जानता हूँ कि इस देशमें अमेरिकी सभ्यताको प्रतिष्ठित करनेके लिए पहले आपको चंगेज खाँ-जैसे सैकड़ों नृशंस व्यक्तियोंकी जरूरत पड़ेगी, जो निर्म- मता के साथ ग्रामीणोंको मार डालेंगे और उनमें से ऐसे बलिष्ठ पुरुषों और स्त्रियोंको ढूंढ निकालेंगे, जिन्हें वे अपनी फौलादी एवं क्रूर इच्छाके आगे झुका सकते हों तथा इन मानव प्राणियों का उपयोग इस ढंगसे कर सकें, मानो वे मनुष्य नहीं बल्कि पशु हों । इस स्वप्नको तब अवश्य ही साकार किया जा सकता है। लेकिन यदि आप अपने गाँवों को सुरक्षित रखना चाहते हैं, यदि आप पश्चिमसे, हम जो सीख सकते हैं, उसकी अच्छी बातोंको आत्मसात् करना चाहते हैं तब तो बंगलोर, मैसूर और कर्नाटक तथा दक्षिणी प्रायद्वीपसे आये आप लोगोंके लिए और जो थोड़े-से लोग उत्तरसे आये उनके लिए भी यहाँ करनेको बहुत-कुछ पड़ा हुआ है ।

मैं नहीं जानता कि इन पुरस्कार पानेवाले लोगोंको देखकर मेरे ही समान आपका हृदय भी अभिभूत हुआ है अथवा नहीं। ये ब्राह्मण-अब्राह्मण, हिन्दू-मुसलमान, अमीर-गरीबका भेद नहीं जानते । इन सबमें एक समानता और भी है; वह यह कि ये इस देशकी गरीबीको अपनी गरीबी मानते हैं, इनमें से जो लोग धनी परिवारोंके हैं उन्होंने भी अपने भाग्यको हमारे सामने उपस्थित गरीब लोगों के साथ जोड़ लिया है। आप घुड़दौड़में जितनी रुचि रखते हैं, आपको घुड़दौड़की भाषाका जितना ज्ञान है, उतनी ही रुचि इस काम में है या नहीं, उतना ही ज्ञान आपको इसकी भाषाका है अथवा नहीं, सो मैं नहीं जानता । भारतके दरिद्रतम लोगोंकी इस सभामें जैसे लोग उपस्थित हैं, उनके बदले यदि आपके सामने फुटबाल, घुड़दौड़ या क्रिकेट के मैदान में कमाल दिखाने के लिए पुरस्कार पानेवाले लोग होते तो में जानता हूँ कि आपमें से कुछ लोग कैसा महसूस करते, आपको उससे कितनी प्रसन्नता होती । लेकिन मुझे यह मालूम नहीं है कि आप कातनेवालों और धुननेवालोंकी भाषा समझते हैं अथवा नहीं। मैं नहीं जानता कि प्रदर्शनी देखनेके बावजूद आप इन प्रक्रियाओंमें निहित अर्थको सचमुच