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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जैसी लगें उस रूपमें जानना चाहिए। इतनी दूरसे वे आपको जैसी लगती हैं, उस रूपमें उन्हें जाननेसे काम नहीं चलेगा ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १२५२७ ) की फोटो नकलसे ।

२१५. पत्र : तारिणीप्रसाद सिन्हाको

स्थायी पता : साबरमती आश्रम

२७ जुलाई, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला । मैं 'यंग इंडिया' कार्यालयसे कह दूंगा कि 'मैंचेस्टर गार्जियन' के लिए 'यंग इंडिया' की जो प्रति भेजी जाती है वह व्यक्तिशः श्री डिक्स- के नाम ही भेजी जाये ।

जहाँतक परिवर्तन के सुझावका[१] सवाल है, मुझे अभीतक श्री डिक्सकी बात जँच नहीं पाई है। मेरे लिए तो यह सत्य के प्रयोग" की ही बात है। लेकिन चूंकि मैं एक अंग्रेजकी तरह अंग्रेजी शब्दोंका बिलकुल ठीक-ठीक प्रयोग करना नहीं जानता इसलिए मैं चाहूँगा कि श्री डिक्स, यदि उन्हें समय मिल सके तो, अपनी बात और अच्छी तरह से समझायें ।

भगवान्‌की बातको भी डिक्स आत्म-विज्ञापन के लिए प्रयुक्त एक थोथी कलाबाजी मानते हैं। इसके सम्बन्धमें तो मैं पूरी विनम्रता के साथ इतना ही कह सकता हूँ कि मेरे लिए वह एक बहुमूल्य तथ्य है और जितनी सच यह बात है कि इस समय मैं आपको पत्र लिख रहा हूँ, मेरी हदतक वह तथ्य इससे भी ज्यादा सच है । कृपया यह पत्र श्री डिक्सको दे देंगे।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १२५२९ ) की फोटो नकल से ।

  1. श्री तारिणीप्रसाद सिन्हाने गांधीजीको ई० डब्ल्यू० डिक्सका यह सुझाव सूचित किया था कि उनकी आत्मकथाका अंग्रेजी नाम द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेण्टस विद टूथके बजाय " द स्टारी ऑफ माई स्कूलिंग विद टूथ" रखा जाये ।