२७४. पत्र : य० म० पारनेरकरको
कुमार पार्क,बंगलोर
७ अगस्त, १९२७
प्रिय पारनेरकर,
साथमें दो पत्र भेज रहा हूँ । इन्हें आप अपनी फाइलमें लगा लें और जब समय निकाल सकें तब इन पत्रोंको ध्यान में रखकर मुझे संक्षेप में ऐसी जानकारी लिख भेजें जिसके आधारपर में वैसा लेख लिख सकूं जैसा कि श्री विलियम स्मिथ चाहते हैं ।
आशा है, अब वहाँका वातावरण आपको पूरी तरह रास आने लगा होगा और आप दोनों बिलकुल स्वस्थ होंगे ।
हृदयसे आपका,
डेरी
आश्रम
अंग्रेजी (एस० एन० १२९२२) की माइक्रोफिल्मसे ।
२७५. पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको
कुमार पार्क,बंगलोर
७ अगस्त, १९२७
प्रिय सतीश बाबू,
आपका पत्र मिला । आपको डॉ० रायसे वही सहायता लेनी चाहिए जो वे अपनी मर्जी से खुशी-खुशी दे सकते हों। खादीको अन्ततः अपने गुणों और अपने पैरोंपर खड़ा होना है। यदि हम अपने महापुरुषोंसे सच्चा सहयोग प्राप्त कर सकें तो बहुत अच्छा; लेकिन न कर सकें तो भी हमें चिन्ता तो करनी ही नहीं चाहिए । हमें इस शाश्वत सत्यपर भरोसा रखना चाहिए कि इस दुनियामें जो कुछ भी अपने- आपमें सही और ठीक है और जिसको एक जीवन्त शक्तिका सहारा प्राप्त है, वह मर नहीं सकता ।
आपकी कठिनाइयोंको में अच्छी तरह समझ सकता हूँ। और यदि मेरे पास रुपयोंसे भरी थैली हो तो आपकी आर्थिक कठिनाईको दूर करनेके लिए में उसे