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मिल- खद्दर

एक भाई लिखते हैं:

मुझे मालूम है कि आपने कई बार उस चीजकी चर्चा की है, जिसे 'मिल- खद्दर' का गलत नाम दिया गया है, लेकिन स्पष्ट है कि मिल-मालिक अब भी इस नामका प्रयोग करनेका लोभ नहीं छोड़ पाये हैं। इस मामलेमें सबसे बड़ा दोषी... है जो अपनी चीजोंका विज्ञापन भी खुले आम इसी नामसे करता है । यह बात मैंने आपकी जानकारीके लिए और इस खयालसे लिखी है कि खद्दरके साथ जुड़ी पवित्रताको रक्षाके लिए आप जो कार्रवाई कर सकते हों, करें ।

पत्र-लेखकने जो कुछ लिखा है, वह दुर्भाग्य से बिलकुल सच है, और मुझे इस तथ्य की जानकारी रही है । मैंने आशा तो यही की थी कि मिल-मालिक इस अवांछ- नीय कार्रवाईसे बाज आयेंगे। लेकिन यह एक निराधार आशा थी । मैं जहाँ भी गया हूँ लोगोंने मिल मालिकोंके इस आचरणके प्रति, जो देशभक्ति के बिलकुल विरुद्ध है, मेरा ध्यान आकृष्ट किया है। मिल मालिकों द्वारा इस नामका नाजायज तरीकेसे प्रयोग करनेसे मुझे जो एकमात्र सन्तोष मिला है वह यह कि यह बात जनसाधारणमें खद्दरकी लोकप्रियताकी द्योतक है और मिल-मालिक उसी जनसाधारणके अज्ञानका गलत लाभ उठा रहे हैं । कारण, मैं जानता हूँ कि खरीदारोंको जब भी इस ठगीके व्यापारका पता चला है, उन्होंने अपने-आपको और मिल मालिकोंको कोसा है । इस ठगीको रोकनेका एक ही उपाय है कि खुद खरीदार लोग ही सावधानी बरतें और खादी-प्रेमी-जन लोगोंको असली और नकली खद्दरमें भेद करना सिखायें ।

अल्मोड़ामें हाथ-कताई

एक पत्र लेखकने अल्मोड़ा जिला बोर्ड द्वारा चलाये जानेवाले स्कूलों में ऊनकी हाथ - कताईमें हुई प्रगतिका एक दिलचस्प विवरण भेजा है। जो लोग नगरपालिकाके स्कूलोंमें तकली- कताईको दाखिल करनेमें विश्वास रखते हैं, उनके लिए निम्नलिखित विवरण दिलचस्प भी है और वे उससे बहुत कुछ सीख भी सकते हैं[१]:

अल्मोड़ा जिला बोर्डके १९२५ के चुनावोंमें स्वराज्यवादी दल विजयी रहा और बोर्डमें उसने बहुमत प्राप्त किया । तबसे स्वराज्यवादी सदस्योंने अपनी संस्था और विशेषकर उसके शैक्षणिक पक्षको राष्ट्रीय रूप देनेकी तरह-तरहसे कोशिश की है। इस दिशामें जो सबसे महत्त्वपूर्ण कदम उठाये गय हैं, वे हैं गाँवोंके स्कूलोंमें राष्ट्र-गान आरम्भ करना, राष्ट्रीय भावनाओंको जगाना, खादीकी पोशाकको प्रश्रय देना और ऊनकी कताई शुरू करवाना ।

जिला बोर्डके ग्रामीण स्कूलोंके बहुतसे शिक्षकोंने अपने पैसेसे ऊन खरीदी और इस तरह स्कूलोंमें कताई शुरू कर दी गई। जब बोर्डने स्वेच्छासे किये

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  1. यहाँ कुछ अंशोंका ही अनुवाद दिया जा रहा है।