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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गये इन सहज प्रयासोंकी लोकप्रियता देखी तो उसने एक कताई और बुनाई उप-समितिका गठन कर दिया और १९२६ के आरम्भमें इस जिलेमें चलाये जानेवाले जिला बोर्डके स्कूलोंमें कताई करानेके उद्देश्यसे ऊन खरीदने के लिए ३,००० रुपये मंजूर किये। लगभग उन्नीस मन ऊन खरीदकर जिलेके ग्रामीण स्कूलों में बाँट दी गई। यह लगभग आठ महीने पहलेकी बात है। लड़कोंने सर्वत्र तकलीका स्वागत किया और ग्रामीण स्कूलोंके शिक्षकोंने ऊनको कताईको सफल बनाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाकर काम किया।...

बोर्डने आदेश दिया है कि स्कूलके समयके बाद कताईकी कक्षाएँ लगाई जायें, क्योंकि पाठ्यक्रममें कताईकी शिक्षाकी कोई व्यवस्था नहीं है । जनसाधारणका उत्साह बढ़ाने और ग्रामीण छात्रोंको प्रोत्साहन देनेके लिए इस जिलेमें मेले-उत्सवोंके अवसरोंपर जगह-जगह कई तकली दंगलोंका आयोजन किया गया है। सबसे अच्छा कातनेवालोंको पुरस्कार (जिनमें खादी, खादीकी टोपियाँ, राष्ट्रीय झंडे और राष्ट्रीय भावनासे पूर्ण पुस्तकें शामिल हैं) दिये गये हैं। इस बातको लोगोंने बहुत पसन्द किया है और कताईको शिक्षा देने तथा प्रदर्शनात्मक महत्त्वकी दृष्टिसे ये बड़े सफल साबित हुए हैं। स्कूली लड़कोंको कातते देखकर गाँववालोंका विवेक जाग उठा है। और कई स्थानोंमें यह कला, जिसे लोगोंने बहुत दिनोंसे भुला रखा था, फिरसे शुरू हो गई है। ग्राम- वासियोंने कई स्थानोंपर अपने हाथ-कते ऊनको बुननेके लिए करघे बैठा दिये हैं । इस प्रकार स्कूलोंमें कताईका असर जनसाधारणपर भी हो रहा है।

ऊनको कातनेके हमारे प्रयोगोंसे हमें यह यकीन हो गया है कि ऊन कातने के लिए तकलीसे अच्छा और कोई साधन नहीं है । यह सीधी-सादी, हलकी, कमखर्च और सुगमतासे चलाई जाने लायक होती है। इसलिए बोर्डके स्कूलों में भी तकलियोंका ही सबसे ज्यादा बोलबाला है। एक छोटा बालक भी बिना किसी दिक्कत या खर्चके अपनी तकली खुद बना सकता है और वह जब और जहाँ चाहे, उसपर काल सकता है।...

अगर यह प्रयोग जारी रखा जाता है और कताईकी ठीक देख-रेख की जाती है तो यह उपक्रम न केवल आत्म-निर्भर हो जायेगा, बल्कि लाभदायक भी साबित होगा । कारण, यदि हाथ-बुनाईका काम लड़के खुद नहीं करते तो भी काते हुए उनके खरीदार बड़ी आसानीसे मिल जायेंगे; या इसे बोर्ड या सम्बन्धित स्कूल भी बुन सकता है और बुनी हुई चीजका इस्तेमाल या तो खुद लड़के कर सकते हैं या उसे खुले बाजारमें बेच दिया जा सकता है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ११-८-१९२७