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३७८. भाषण : बंगलोरमें व्यायामशालाके उद्घाटनके अवसरपर

२८ अगस्त, १९२७

मित्रो,

आपने अपने यहाँकी व्यायामशालाका[१] उद्घाटन करनेका अवसर मुझको दिया। मैं इसके लिए आपका आभारी हूँ। मैं उन सज्जनका भी आभार मानता हूँ जिन्होंने आपको यह व्यायामशाला दान की है। उन्होंने अपने पुत्रकी स्मृति ताजा बनाये रखनेकी अपनी इच्छा व्यक्त करनेका यह बहुत ही ठीक साधन चुना है। यह प्रकट करता है कि वे चाहते हैं कि देशके युवक बलशाली और स्वस्थ बनें । मैं जानता हूँ कि इस प्रदेशमें, जहाँ सर एम० विश्वेश्वरैया-जैसे इंजीनियर मातृभूमिकी सेवाके लिए आगे आये हैं वहाँ इस व्यायामशालाके निर्माणके लिए श्री वेंकट सुब्बाराव-जैसे इंजीनियर भी अवश्य मिल सकेंगे । आप भली-भाँति जानते हैं कि जिस प्रकार बुद्धि- को अभ्यास और विकासकी अपेक्षा रहती है, उसी प्रकार शरीरको भी व्यायामकी अपेक्षा रहती है। परन्तु इस तथ्यको सचमुच चन्द लोगोंने ही समझा है। अपने देशमें अनेक उद्भट बुद्धिजीवी जीर्ण-शीर्ण शरीर लिये घूमते दिखाई पड़ते हैं। मैं नहीं सम- झता कि शिक्षाकी यह वर्तमान पद्धति ठीक है। शरीरकी उपेक्षा करना उचित नहीं है। मुझे यह देखकर बड़ा हर्ष हुआ कि अपने यहाँके युवकोंको शारीरिक व्यायामकी सुविधा देनेकी आवश्यकताको आप समझते हैं। मैंने खादीका काम करनेवाले आपके यहाँके युवकोंको देखा है और मुझे खुशी है कि वे शारीरिक व्यायामका महत्त्व समझते हैं। मुझे इस बातकी भी खुशी है कि आप जिस प्रकार पाठशालाओंके बाहर अपनी बुद्धिका उपयोग करते रहते हैं, उसी प्रकार आप व्यायामशालाके बाहरके कामोंमें भी अपने शरीरको पर्याप्त व्यायामसे पुष्ट बनाते रहेंगे। आशा है कि आपमें से प्रत्येक शिक्षक अपने घरमें भी इसकी ओर विशेष ध्यान देंगे। आशा है कि आप बालिकाओंके लिए शारीरिक व्यायामकी सुविधाएँ जुटानेकी ओर भी विशेष ध्यान देते रहेंगे। अन्त में, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि रोज बड़े सुबह टहलना भी एक अच्छा व्यायाम है जिसे आप अपना सकते हैं । मैं इस व्यायामशालाके उद्घाटनके समय आपको एक बात और याद दिलाना चाहता हूँ । शरीरको विकसित करने के साथ-ही-साथ आत्मिक विकास भी उतना ही आवश्यक है। आप जानते हैं कि इस व्यायामशालामें आपने संरक्षक देवताके आसन पर श्री हनुमानको प्रस्थापित किया है और उनके मार्गदर्शन में आप अपना शारीरिक विकास करेंगे। परन्तु श्री हनुमानका शारीरिक बल उतना महत्त्व नहीं रखता जितना

  1. नेशनल हाईस्कूलको श्री कृष्णस्वामी व्यायामशाला ।