पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/४९

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८.पत्र:ए° ए° पॉलको

कुमार पार्क,बंगलोर
१६ जून,१९२७

प्रिय भाई,

आपका पत्र और पुस्तिका (पैम्पलेट) मिली। में सोचता हूँ, पुस्तिकाका पठन दिलचस्प रहेगा ।

पता नहीं, में मद्रास कब आ पाऊँगा - २३ जुलाईको तो शायद नहीं ही आ सकूंगा। फिर भी यह तो में नहीं कह सकता कि इस वर्ष मुझमें इतनी ताकत आ भी पायेगी या नहीं कि मेरा स्वास्थ्य बिगड़ने से पहले आपने मुझे जो कार्यक्रम भेजा था, उसके अनुसार में घंटों तक 'रिट्रीट 'का[१] संचालन कर सकूँ । दक्षिणकी यात्राके पूरे कार्यक्रममें आमूल परिवर्तन किया जा रहा है । में नहीं समझता कि श्री राजगोपाला- चारी अभीतक उसे नये सिरेसे पूरी तरह तय कर पाये होंगे ।

हृदयसे आपका,

श्री ए० ए० पॉल
७, मिलर रोड
किलपॉक, मद्रास

अंग्रेजी (एस० एन० १४१५८ ) की माइक्रोफिल्म से ।

९.पत्र:श्रीमती माणिकबाई बहादुरजिको

कुमार पार्क,बंगलोर
१६ जून,१९२७


आपका पत्र मिला। इसी तरह पंचगनीकी सभी छोटी-बड़ी खबरें और अपने खूबसूरत घोंसले तथा उसमें आने-जानेवाले पंछियों के बारेमें लिखती रहिए ।

अभीतक मैंने हिन्दुस्तान में जितने भी स्थान देखे हैं, उनमें बंगलोरको सबसे सुन्दर और साफ-सुथरा पाया है । यह तो ठीक ही है कि अँधेरे कोने यहाँ भी होंगे, लेकिन अभीतक मैंने उन्हें नहीं देखा । और मेरा ख्याल है, देख भी नहीं पाऊँगा, क्योंकि मुझे घूमने के लिए सुन्दर स्थानोंमें ही ले जाया जाता है । और यहाँकी आबो-

  1. ईसाइयोंकी एक सामूहिक उपासना-विधि ।