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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तूम वहाँ अपना समय कैसे बिताती हो ? देवदास मेरे साथ है और रामदास अपने कामपर एक खादी-कार्यालयमें है ।

मुझे दुःख है कि तुम 'यंग इंडिया' नहीं देख पातीं। अब में व्यवस्थापकसे कह रहा हूँ कि वे तुम्हारा नाम निःशुल्क सदस्योंकी सूची में लिख दें। क्या तुम्हें 'इंडियन ओपिनियन' नहीं मिलता ? अगर नहीं तो तुम्हें बिना किसी हिचकिचाहटके मणिलालको उसके लिए लिखना चाहिए । लेकिन अगर तुम्हें खुद लिखना पसन्द न हो तो मुझे बताओ। फिर मैं ही लिख दूंगा । तुम्हें 'इंडियन ओपिनियन' और 'यंग इंडिया' दोनों ही की प्रतियाँ मिलनी चाहिए थीं । 'यंग इंडिया' के बारेमें तो मुझे खुद ही खबर रखनी चाहिए थी; लेकिन में यह माने हुए था कि तुम्हें यह पत्र मिल ही रहा होगा ।

सस्नेह,

तुम्हारा

भाई

कुमारी देवी वेस्ट

२२, जॉर्ज स्ट्रीट

लाऊथ

लिंकनशायर (इंग्लैंड)

अंग्रेजी (एस० एन० १२५०६ ) की फोटो - नकलसे ।

४१. पत्र : एच० हारकोर्टको

कुमार पार्क,बंगलोर

२२ जून,१९२७


प्रिय मित्र, अपने पिछले पत्रमें[१] मैंने आपको लिखा था कि आपने अपनी पुस्तककी[२] जो प्रति मेरे पास भेजनेकी कृपा की थी, उसे में मँगवा लूंगा। मैंने पुस्तक मँगवा ली है । और चूंकि आजकल बीमारीसे अच्छा होनेके बाद स्वास्थ्य लाभके खयालसे में आराम कर रहा हूँ, इसलिए मेरे पास काफी अवकाश रहता है । सो मैं पुस्तकको आद्योपान्त पढ़ भी गया हूँ। मैंने पुस्तक बड़ी रुचिसे पढ़ो। आपने हास्यके जो पुट दिये हैं, वे मुझे बहुत अच्छे लगे - खासकर वह स्थल जहाँ प्रतिवादी अपने बयानमें कहता है कि वादीने

  1. देखिए खण्ड ३३ पृष्ठ ४३८-३९ ।
  2. एच० हारकोर्ट और छोटूराम द्वारा लिखित साइडलाइट्स ऑन द क्राइसिस इन इंडिया; एच० हारकोर्ट भारतीय सिविल सर्विसके सदस्य और गुरुदासपुरके डिप्टी कमिश्नर थे तथा छोटूराम पंजाब सरकार में कृषि मन्त्री थे ।