पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/५८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५५२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

कुल जोड़ रु॰ १,०५,०१६, ० /
७ सेंटके हिसाबसे स्वर्ण मुद्राओं (५४) के मूल्यमें कमी
३-७८
खराब सिक्के १२-१२३
असली जोड़ १,०५,०००-१ /
  = १,०५,००-२-०
  रु॰ आ॰ पा॰
बैंक में जमा (एम॰ सी॰ यू॰ बी) १,०४,४८७-५-४
नकद पासमें १४८-९-५
गैर-कानूनी होनेपर वापस किये गये चेकोंकी उगाही बाकी
३६४-३-३
  ——————
  जोड़ १,०५,०००-२-०
[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २२-१२-१९२७
 

परिशिष्ट ३
भेंट : सी॰ कुट्टन नायरसे[१]

४ अक्टूबर, १९२७

श्री टी॰ के॰ माधवनको आज गांधीजीका एक तार[२] मिला है जिसमें उनसे कहा गया है कि वह तिरुवरप्पु मन्दिरकी सड़कोंके उपयोगके सिलसिलेमें अस्पृश्योंपर लगे प्रतिबन्धके विरुद्ध सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दें।

तिरुवरप्पु मन्दिरकी सड़कोंसे सम्बन्धित प्रश्नोंके बारेमें आज सुबह विरुधुनगरमें श्री माधवनके एक साथी कार्यकर्ता श्री सी॰ कुट्टन नायरने गांधीजीसे भेंट की। महात्मा गांधीने श्री कुट्टन नायर द्वारा दिये गये सभी कागजों को ध्यानपूर्वक पढ़ा,. . . . और वास्तविक तथ्योंकी जानकारी प्राप्त करनेके बाद. . . कहा :

मेरे सामने जो तथ्य हैं, उन्हें देखते मुझे यह कहनेमें तनिक भी हिचकिचाहट नहीं है कि तिरुवरप्पुमें अवर्ण हिन्दुओंके लिए सड़कें खोलनेके लिए सत्याग्रह करनेके पक्षमें एक बहुत मजबूत मामला तैयार किया गया है।

यह पूछे जानेपर कि क्या सत्याग्रहसे उनका तात्पर्य उस प्रकारके सत्याग्रहसे है जैसा कि वाइकोममें किया गया था, गांधीजीने जोरदार शब्दोंमें कहा, 'नहीं'। उन्होंने कहा कि यह सत्याग्रह इतना काफी व्यापक होना चाहिए जिसमें सभी प्रकारकी सविनय अवज्ञा आ सके। उन्होंने कहा कि मैं तिरुवरप्पुमें सामूहिक सविनय अवज्ञा

  1. देखिए "भाषण : त्रिवेन्द्रम्", १०-१०-१९२७।
  2. उपलब्ध नहीं है।