पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 36.pdf/१२७

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नीति वचन उद्धृत करता हूँ, जिनका प्रयोजन निराश लोगोंको प्रोत्साहित करना और दंभी लोगोंको चेतावनी देना है। वास्तवमें उनके लिए कुछ भी असम्भव नहीं है जो बड़ीसे-बड़ी कठिनाइयोंके बावजूद उद्यम करते रहते हैं। उन लोगोंके लिए कुछ भी सम्भव नहीं है जो शेखी मारते हैं, हंगामा मचाते हैं और बहादुरीका मात्र दिखावा करते हैं। नीति-वचन निम्नलिखित हैं:--

प्रत्येक महानकार्य आरम्भमें असम्भव होता है।

--कार्लाइल

बहुत--सी चीजोंमें सफलता इस बातको समझकर चलनेपर निर्भर करती है कि सफल होनेमें कितना समय लगेगा।

--मोंटेस्क्यू

विजय अत्यन्त उद्यमी पुरुषको प्राप्त होती है।

--नेपोलियन

सतत् उद्यम और आत्म विश्वाससे कठिनाइयोंका मुँह उतर जाता है और असम्भव दिखाई देनेवाली चीजें सम्भव हो जाती हैं ।

--जेरेमी कोलियर

पानीकी तरह अस्थिर, तुम श्रेष्ठ नहीं बन सकते ।

वे स्नायु जिनमें कभी शिथिलता नहीं आती; वह आँख जो कभी लक्ष्यसे नहीं हटती; वह विचार जो कभी इधर-उधर नहीं भटकता, विजय दिलानेवाले हैं।

-- बर्क

आप दिनके समय चाहे कितने भी क्षुब्ध, उदासीन और दुःखी रहे हों; आप तब- तक सोनेका उपक्रम न करें जबतक आप अपना मानसिक सन्तुलन पुनः ठीक न कर लें, जबतक आपकी चित्तवृत्तियाँ सँभल नहीं जातीं और जबतक आपका मन शान्त नहीं जाता ।

--कार्टराइट

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ८-३-१९२८