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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किया, जिन्हें संविधानकी दृष्टिसे उचित समझा जाता है। इसमें असफल हो जाने पर उन्होंने वल्लभभाईको सलाह लेनेके लिए और आवश्यकता पड़नेपर सत्याग्रह द्वारा सरकारका प्रतिरोध करनेमें उनका नेतृत्व करनेके लिए आमन्त्रित किया ।

वल्लभभाईने उनके मामलेकी जाँच की और यद्यपि उन्होंने देखा कि उनका मामला न्यायोचित है तो भी सरकारको परेशानी से बचाने के लिए और लोगोंको लम्बी यातनासे छुटकारा दिलानेके लिए सरकारको एक सम्मानजनक सुझाव दिया, अर्थात् उन्होंने यह सुझाव दिया कि यदि सरकार यह बात स्वीकार नहीं करती कि लोगोंका मामला न्यायसंगत है तो वह दोनों पक्षके मामलेकी जाँच करनेके लिए एक निष्पक्ष न्यायाधिकरणकी नियुक्ति कर दे। उन्होंने सरकारको विश्वास दिलाया कि लोगोंको ऐसे न्यायाधिकरणका निर्णय मान्य होगा। सरकारने यह समुचित सुझाव अवज्ञासे अस्वीकार कर दिया।

इसलिए जनतासे यह नहीं कहा गया है कि वह सरकारने जो विवरण दिया है उसके विरुद्ध लोगोंका दिया विवरण स्वीकार कर ले। उनसे कहा गया है कि वे केवल निष्पक्ष न्याधिकरणकी नियुक्तिकी माँगका समर्थन करें और यदि ऐसी नियुक्ति न हो तो लोगोंके लगानका शान्तिपूर्वक प्रतिरोध करने और ऐसे प्रतिरोधके सब परिणामोंको, जिनमें उनकी जमीनकी जब्ती भी शामिल है, भोगनेके साहसिक संकल्पका समर्थन करें।

श्रीयुत वल्लभभाईने प्रस्तावित सत्याग्रहका स्वराज्य प्राप्तिके लिए किये जा रहे सत्याग्रहसे अन्तर ठीक ही बताया है, यह आन्दोलन सही मानेमें स्वराज्य प्राप्तिके लिए चलाया हुआ कर न देने का आन्दोलन नहीं समझा जा सकता जैसा कि बारडोलीमें १९२२ में हो सकता था। इस सत्याग्रहका क्षेत्र सीमित है। इसका विशेष और स्थानीय उद्देश्य है। हरएक आदमीका यह अधिकार ही नहीं बल्कि उसका यह कर्त्तव्य भी है कि वह मनमाने तौर पर लगाए गए अन्यायपूर्ण लगानका प्रतिरोध करे। बारडोलीकी रैयत ऐसा ही दावा करती है। परन्तु यद्यपि प्रस्तावित सत्याग्रहका विशिष्ट और स्थानीय उद्देश्य है। भी इसका एक देश-व्यापी प्रयोजन है। जो बारडोलीके बारेमें सही हो वही बात भारतके बहुतसे हिस्सोंके बारेमें भी सही है। इस संघर्षका स्वराज्यसे भी परोक्ष सम्बन्ध है । जिस किसी बातसे भी लोगोंको उनके प्रति किए गए अन्यायका वोध होता है, उनमें अनुशासित रहकर शान्तिपूर्ण प्रतिरोध करनेकी शक्ति आती है और वे सामूहिक रूपसे यातनाएँ सहनेके आदी बनते हैं, उस सबसे हम स्वराज्यके निकटतर आते जाते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ८-३-१९२८